ये आसान उपाय, करने पर होती है मां लक्ष्मी की विशेष कृपा

वास्तुशास्त्र में घर और कार्यालय में फैली नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय बताए  गए हैं

Update: 2021-08-20 02:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वास्तुशास्त्र में घर और कार्यालय में फैली नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय बताए  गए हैं। माना जाता है कि अगर घर या कार्यालय में वास्तु के नजरिए से कोई दोष है तो वहां की प्रगति धम जाती है। पैसा का अभाव हमेशा बना रहता है और मानसिक परेशानियां बढ़ती है। आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार किन-किन उपायो को करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।

वास्तु में प्रवेश द्वार को बहुत अहम माना गया है। यह घर का आइना होता है,इसे हमेशा साफ़-सुथरा रखें। यहाँ ज्यादा तड़क-भड़क वाली तस्वीरें न लगाकर शुभ प्रतीक चिह्न जैसे स्वास्तिक ,ॐ, कलश, पवनघंटी, शंख, मछलियों का जोड़ा या आशीर्वाद मुद्रा में बैठे गणेश जी लगाना शुभकारक रहता है।

यदि आप लेखन,बैंक,व्यापार प्रबंधन या एकाउंट्स जैसे व्यवसाय से जुड़े हैं,तो आपके लिए उत्तर की ओर मुख करके बैठना लाभकारी होगा।वही आपकी जॉब कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग,शिक्षा,ग्राहक सेवा,तकनीकी सेवा,क़ानून या मेडिकल से संबंधित है तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना श्रेष्ठ है। 

दरवाज़े को खोलते तथा बंद करते समय सावधानी से बंद करें,ताकि कर्कश ध्वनि न निकले।

यदि आपने घर में पूजा घर बना रखा है तो शुभ फलों की प्राप्ति के लिए उसमें नियमित रूप से पूजा होनी चाहिए एवं दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोगपूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

गैस का चूल्हा किचन प्लेटफार्म के आग्नेय कोण में दोनों तरफ से कुछ इंच जगह छोड़कर रखना वास्तु सम्मत माना गया है।

शयन कक्ष में ड्रेसिंग टेबल हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में रखनी चाहिए,सोते समय शीशे को ढक दें।

किसी भी व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए,ऐसा करने से बेचैनी,घबराहट और नींद में कमी हो सकती है।

शयन कक्ष में मुख्य द्वार की ओर पैर करके नहीं सोएं।पूर्व दिशा में सिर एवं पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से आध्यात्मिक भावनाओं में वृद्धि होती है।

भवन में उत्तर दिशा,ईशान दिशा,पूर्व दिशा,वायव्य दिशा में हल्का सामान रखना शुभ फलदाई होता है।

मधुर संबंधों के लिए अतिथियों का स्थान या कक्ष उत्तर या पश्चिम की ओर बनाना चाहिए।

आरोग्य के दिशा क्षेत्र उत्तर-उत्तर-पूर्व दिशा में दवाइयां रखने से ये जल्दी असर दिखाती हैं।

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