जानिए क्यों लिया बजरंगबली ने पंचमुखी हनुमान का अवतार

बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, राम भक्त और भी अनेक नामों से प्रचलित भगवान हनुमान कलयुग के देवता कहे जाते हैं.

Update: 2022-07-19 05:59 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, राम भक्त और भी अनेक नामों से प्रचलित भगवान हनुमान कलयुग के देवता कहे जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि मनुष्य हर तरह  से समस्याओं से घिर गया है और उसे निकलने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है, तो बजरंगबली के अवतार पंचमुखी हनुमान की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भोपाल के रहने वाले ज्यो तिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि पंचमुखी हनुमान की पूजा करने से मनुष्य के जीवन में आ रही अनेक परेशानियों का निपटारा हो जाता है. आज के इस आर्टिकल में पौराणिक कथा के माध्यम से जानेंगे कि किस तरह बजरंगबली ने पंचमुखी हनुमान अवतार लिया.

पंचमुखी हनुमान अवतार कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पंचमुखी हनुमान बजरंगबली का सबसे शक्तिशाली रूप माना जाता है. हनुमान जी ने रावण की माया को खत्म करने के लिए उससे हुए युद्ध के दौरान पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया था. आइए जानते हैं इसकी पौराणिक कथा.
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम से युद्ध के दौरान रावण को इस बात का एहसास हो गया था कि वह इस युद्ध में हार सकता है. अपनी हार से बचने के लिए उसने अपने मायावी शक्तियों का उपयोग करना शुरू कर दिया. इस युद्ध में रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण की मदद ली. अहिरावण की मां भवानी तंत्र-मंत्र विद्या जानती थी. इसी वजह से अहिरावण भी तंत्र विद्या में माहिर था. युद्ध के दौरान उसने ऐसी चाल चली कि भगवान राम की सेना धीरे-धीरे करके युद्ध भूमि पर ही सोने लगी. इस चाल से भगवान राम और लक्ष्मण भी नहीं बच पाए और वह भी निद्रा में सो गए.
भगवान राम और लक्ष्मण की नींद लगते ही अहिरावण उनका अपहरण कर पाताल लोक ले गया. कुछ समय के बाद माया का प्रभाव कम हुआ, तो सेना के लोग जागे और उन्होंने देखा कि भगवान राम और लक्ष्मण वहां नहीं हैं. इस चाल को विभीषण समझ गए और उन्होंने राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए भक्त हनुमान को पाताल लोक जाने के लिए कहा. जैसे ही भक्त हनुमान पाताल लोक पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वहां पर उनका ही पुत्र मकरध्वज उन्हें रोक रहा है. इस दौरान मकरध्वज से हनुमान जी का युद्ध हुआ और उन्होंने मकरध्वज को हराकर अंदर प्रवेश किया, तो देखा भगवान राम और लक्ष्मण बंधक बने हुए थे.
हनुमान जी ने देखा कि वहां पांच दीपक पांचों दिशाओं में जल रहे हैं. यह तांत्रिक विद्या मां भवानी द्वारा की गई थी. हनुमान जी जानते थे कि यह पांचों दीपक को एक साथ बुझाने के बाद ही अहिरावण का अंत हो सकता है. इसी समय बजरंगबली ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण का वध किया.
पंचमुखी हनुमान के स्वरूप
बजरंगबली के पंचमुखी स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, पूर्व में हनुमान मुख और आकाश की तरफ हयग्रीव मुख है.
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