जानिए चाणक्य नीति के अनुसार क्या हैं वो चीजें, गंदगी में पड़े भी हों तो उठाने में नहीं हिचकिचाएं

चाणक्य नीति मनुष्य को सफल होने के लिए प्रेरित करती है. आचार्य चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है.

Update: 2022-07-03 05:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाणक्य नीति मनुष्य को सफल होने के लिए प्रेरित करती है. आचार्य चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. उनकी बताई हुई बातें आज भी प्रासंगिक हैं, यही कारण है कि आज भी बड़ी संख्या में लोग चाणक्य नीति का अध्ययन करते हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार नीच व्यक्ति के पास भी यदि श्रेष्ठ विद्या है, तो उससे ज्ञान ग्रहण करने में बिल्कुल भी कतराएं नहीं, क्योंकि वह ज्ञान जीवन में आपको कई परिस्थितियों में सफल बना सकता है. नीतिज्ञ चाणक्य की नीतियों के अनुसार गुणवान वस्तु की कीमत गंदगी में पड़े रहने के बावजूद भी नहीं घटती है. तो आइए जानते हैं चाणक्य नीति के अनुसार वे कौन सी चीजें हैं, जो अगर गंदगी में भी पड़ी हों तब भी उन्हें उठाने से हिचकिचाएं नहीं.

विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम् ।
रनीचादप्युत्तमां विद्यांस्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य को जहर से भी अमृत निकाल लेना चाहिए. आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि यदि संभव हो तो जहर में से अमृत निकाल लें. यानी कि बुरी से बुरी चीज में भी अच्‍छाई ढूंढने और उसे ग्रहण करने की कोशिश करें. यह नजरिया आपको जिंदगी में ऊंचाइयों पर ले जाएगा. 
सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।
चाणक्य नीति का श्लोक भी बहुत ही काम का है. आचार्य चाणक्य इस श्लोक माध्यम से बताना चाहते हैं कि कन्या का विवाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. इसी तरह गुणी कन्‍या का हमेशा सम्‍मान करें. यदि दुष्‍ट परिवार में भी गुणी कन्‍या हो तो उसे अपने घर की बहू बनाने में दोबारा न सोचें. लड़की के गुणों को देखें, वह आपके घर को स्‍वर्ग बना देगी. क्‍योंकि इस पूरी दुनिया में बेदाग कोई भी नहीं है, लिहाजा बुराइयों की बजाय अच्‍छाइयों को देखें.
सोना एक बहुत ही कीमती धातु है, इसलिए यदि सोना यदि कीचड़ में भी पड़ा हुआ है, तो भी उसे उठा लेना चाहिए. क्योंकि गंदगी में पड़े रहने के बावजूद भी सोने का मूल्य घटेगा नहीं. चाणक्‍य नीति के अनुसार यदि मुमकिन हो तो जहर में मिले हुए अमृत को भी निकाल लेना उचित है. अर्थात बुराई में से अच्‍छाई ढूंढकर उसे ग्रहण करने का गुण इंसान को जीवन में तरक्की की राह पर ले जाता है.
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