धर्म अध्यात्म: सावन मास में मुख्य रूप से शिव की पूजा होती है। भगवान शिव ही देवों के देव हैं और इसलिए ही वो 'महादेव' कहलाते हैं। सृ्ष्टि की रक्षा के लिए स्वयं विषपान करने वाले 'भोलेनाथ' को इसलिए ही तो 'नीलकंठ' भी कहा जाता है। इस मास में इनकी पूजा पूरी श्रद्धा के साथ करने पर इंसान को हर तरह के सुख और शांति की प्राप्ति होती है। भय उसे छू भी नहीं पाते हैं और उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। शिव की पूजा विशेष मंत्रों से करने से भक्त को दो गुने फल की प्राप्ति होती है। Expand लेकिन अक्सर लोग "ॐ नमः शिवाय" और "ॐ शिवाय नमः" के बीच आकर अटक जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि गृहस्थ आश्रम में रहने वाले व्यक्तियों को खासकर के महिलाओं को "ॐ नमः शिवाय" की जगह "ॐ शिवाय नमः" का जाप करना चाहिए लेकिन सच में ऐसा नहीं है। तो चलिए मंत्रों को लेकर चल रही इस दुविधा को दूर कर देते हैं। दोनों ही मंत्र शिव के प्रिय हैं दरअसल दोनों ही मंत्र शिव के प्रिय और काफी लोकप्रिय हैं। दोनों ही मंत्रों में प्रभु का नमन होता है।
सबसे पहले बात करते हैं "ॐ नमः शिवाय" की, जिसे कि 'पंचाक्षरी मंत्र' के रूप में भी जाना जाता है। 'मैं शिव को नमन करता हूं' 'पंचाक्षरी' का मतलब 'पांच अक्षर वाला मंत्र' यानी कि 'न+मः+शि+वा+य।' जिसका अर्थ होता है कि 'मैं शिव को नमन करता हूं।' इस मंत्र का जाप करने से इंसान को 100 वेद पढ़ने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इसका जाप करने से इंसान के मन से भय समाप्त हो जाता है। उसे मानसिक सकून पहुंचा है और इंसान का आत्मविश्वास बढ़ता है। "ॐ शिवाय नमः" मंत्र भी काफी प्रभावशाली अब बात "ॐ शिवाय नमः" की, तो ये भी बहुत ही शक्तिशाली 'पंचाक्षरी मंत्र' है। इसका जाप करने से इंसान की आत्मशक्ति बढ़ती है और वो भयमुक्त होता है, लेकिन दोनों ही मंत्रों में सूक्ष्म अंतर हैं। 'पंचाक्षरी' मंत्र काफी प्रभावी ॐ नमः शिवाय" एक 'दीर्घ पंचाक्षरी मंत्र' है जबकि "ॐ शिवाय नमः" सूक्ष्म पंचाक्षरी मंत्र है। " ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप सांसरिक उद्देश्य के लिए और "ॐ शिवाय नमः" का जाप मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। 'दोनो ही मंत्रों में सर्वशक्तिमान शिव हैं' फिलहाल दोनो ही मंत्रों में शिव-शंकर हैं और जो भी सच्चे मन से उन्हें याद करता है उन्हें 'भोले बाबा' जरूर अपना आशीष देते हैं। दोनों ही मंत्रों का जाप रोजाना 108 बार करने से भक्त पर भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है।