जानिए देवशयनी एकादशी पर बन रहे हैं ये खास तीन योग

हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इसके बाद चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.

Update: 2022-07-10 07:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इसके बाद चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. फिर चार महीने बाद कार्तिक माह में आने वाली देवउठनी एकादशी पर ही शुभ कार्य की शुरुआत होती है. देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2022 Shubh Muhurat) आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कहते हैं जो कि इस बार 10 जुलाई 2022, रविवार को है.

देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु सभी देवताओं के साथ चार माह की योग निद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान केवल भगवान शिव व उनका परिवार जागता है. ऐसे में सृष्टि का भार भगवान शिव पर आ जाता है. ऐसे में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. हालांकि, पूजा पाठ करने पर कोई रोक नहीं है. देवशयनी एकादशी 9 जुलाई को शाम 4 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 10 जुलाई को दोपहर 2 बजकी 13 मिनट तक रहेगी.
देवशयनी एकादशी पर बन रह हैं खास तीन योग
देवशयनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है और इस बार यह महत्व और भी खास हो गया है. क्योंकि इस बार देवशयनी एकादशी पर तीन शुभ योग बन रहे हैं: रवि योग, शुभ योग और शुक्ल योग. ये सभी शुभ कार्य के लिए बेहद ही उत्तम माने गए हैं. मान्यता है कि इन योग में किया गया शुभ कार्य सफल होता है.
जान लें पारण का समय
देवशयनी एकादशी व्रज का पारण 11 जुलाई सोमवार को होगा. जो जातक व्रत कर रहे हैं वह 11 जुलाई सुबह 5 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 17 मिनट तक पारण कर सकते हैं.
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