जानिए सावन महीने में कांवड़ यात्रा का महत्व

भगवान शिव का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका है. इस माह शिव भक्त भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं.

Update: 2022-07-18 06:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान शिव का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका है. इस माह शिव भक्त भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. शिवालयों में भगवान शिव का जलाभिषेक कर उनका आशीर्वाद लेते हैं. सावन महीने को श्रावण मास भी कहा जाता है. सावन माह में कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व होता है. इस दौरान शिवभक्त गंगा नदी से पवित्र गंगाजल कांवड़ में भरकर पैदल यात्रा कर लाते हैं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं.

कांवड़ यात्रा की ये परंपरा काफी पुरानी है. आइये जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से सावन महीने में कांवड़ यात्रा का महत्व.
कांवड़ की पौराणिक कथाएं
सावन महीने में कांवड़ यात्रा शुरू करने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम, रावण, परशुराम, श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा प्रारंभ की थी. एक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम पहला कां​वड़ लेकर आए थे. भगवान परशुराम भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर आए थे.
यहां से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई. वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार, श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता पिता को कंधे पर कांवड़ में बैठाकर पैदल यात्रा कराई और गंगाजल से स्नान कराया. वापस आते समय भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक किया. कहा जाता है कि यहां से ही कांवड़ यात्रा शुरू हुई.
जब रावण ने किया था शिव का अभिषेक
कांवड़ यात्रा से जुड़ी एक और कथा प्रचलित है. जिसमें लंकापति रावण के समय से कांवड़ यात्रा शुरू हुई. कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया तो उनके गले में जलन होने लगी. तब देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया था. इस दौरान शिवजी ने अपने परम भक्त रावण को भी याद किया. तब रावण कांवड़ से जल लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे और उनका ​अभिषेक किया. कहा जाता है यहां से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई. ऐसे में सावन महीन में कांवड़ यात्रा से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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