पौष पुर्णिमा की तिथि और पूजा विधि, जाने
हिंदी पंचांग के अनुसार, वर्ष के हर महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है। इस प्रकार पौष माह की पूर्णिमा 17 जनवरी को है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रदेव पूर्ण आकार में होते हैं।
हिंदी पंचांग के अनुसार, वर्ष के हर महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा मनाई जाती है। इस प्रकार पौष माह की पूर्णिमा 17 जनवरी को है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रदेव पूर्ण आकार में होते हैं। इस दिन पूजा, जप, तप और दान से न केवल चंद्र देव, बल्कि भगवान श्रीहरि की भी कृपा बरसती है। पूर्णिमा और अमावस्या को पूजा और दान करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं। सनातन शास्त्रों में पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा व्रत और सत्यनारायण पूजा का विधान है। इस दिन साधक पवित्र नदियों में स्नान कर तिल तर्पण करते हैं। इससे पितरों को मोक्ष मिलता है। अत: पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आइए, पौष पूर्णिमा के बारे में सबकुछ जानते हैं-
पौष पूर्णिमा 2022 मुहूर्त
पौष पूर्णिमा सोमवार 17 जनवरी, 2022 को है। पौष पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी को देर रात 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान्य होती है, इसलिए पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को है।
पूर्णिमा पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म बेला में उठें और घर की साफ़-सफाई करें। कोरोना वायरस महामारी के चलते पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है। ऐसे में घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर सर्वप्रथम भगवान भास्कर को ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इसके बाद तिलांजलि दें। इसके लिए सूर्य के सन्मुख खड़े होकर जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें। फिर ठाकुर और नारायण जी की पूजा करें। भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। अंत में आरती-प्रार्थना कर पूजा संपन्न करें। इसके बाद जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।