हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत ही खास महत्व है. वैसे तो सभी अमावस्या का अपना एक अलग महत्व है.लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. वहीं इसी दिन पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनें वट सावित्री का व्रत भी रखती हैं. ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है. अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ हैं. अब ऐसे में ज्येष्ठ अमावस्या पर स्नान, दान, पितृ की पूजा, शनि,भगवान विष्णु और शनि देव के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में ज्येष्ठ अमावस्या की शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व क्या है, इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.
जानें कब है ज्येष्ठ अमावस्या
इस साल ज्येष्ठ अमावस्या दिनांक 19 मई दिन शुक्रवार को है. इस दिन पवित्र जल में स्नान और व्रत रखने की भी विशेष परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि इससे सात जन्म के पाप धुल जाते हैं और पितरों का आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है.
ज्येष्ठ अमावस्या का शुभ मुहूर्त (Jyeshta Amavasya 2023 Muhurat)
हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत दिनांक 18 मई को शाम 9 बजकर 42 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन दिनांक 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट पर होगा.
स्नान मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा.
वट सावित्री पूजा मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 43 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 58 मिनट पर होगा.
शनि देव पूजा मुहूर्त - शाम 06 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 03 मिनट पर होगा.
शनि देव की पूजा सूर्यास्त के करना ही शुभ होता है.
जानें ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि क्या है ?
इस दिन नदी में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें
उसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा अवश्य दें.
शनि देव को सरसों का तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले फूल अर्पित करें और शनि चालीसा का जाप करें.
वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन यम देवता की पूजा करनी चाहिए और सुहाग की चीजें बांटनी चाहिए.