कुंडली में है कालसर्प दोष तो नाग पंचमी पर यह जरुर करिए

दो अगस्त श्रावण शुक्ल पंचमी दिन मंगलवार में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से धाता योग बन रहा है। इसके साथ-साथ शिव योग भी बन रहा है। धाता और शिव योग में नाग पूजन एवं दर्शन बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। शिवयोग में भगवान शंकर के गले में सुशोभित नाग देवता सावन के महीने में विशिष्ट फल देने वाले हैं।

Update: 2022-08-01 03:46 GMT

दो अगस्त श्रावण शुक्ल पंचमी दिन मंगलवार में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से धाता योग बन रहा है। इसके साथ-साथ शिव योग भी बन रहा है। धाता और शिव योग में नाग पूजन एवं दर्शन बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। शिवयोग में भगवान शंकर के गले में सुशोभित नाग देवता सावन के महीने में विशिष्ट फल देने वाले हैं। भारतीय संस्कृति में नाग पूजा सृष्टि के आरंभ से ही प्रचलित है। भगवान शिव के गले का हार नाग, क्षीरसागर पर भगवान विष्णु की शैय्या स्वयं शेषनाग। भारतवर्ष में वैसे ही नागवंश की परंपरा भी रही है। महाभारत काल में पांडवों की माता कुंती नागकन्या थी। पूरा महाभारत काल नागों की कथाओं से भरा पड़ा है।

बाल्यावस्था में कौरवों ने विशेषकर दुर्योधन ने भीम को मारने के षड्यंत्र में विषैली खीर खिलाकर गंगा में छोड दिया था, किंतु वहां पर नाग देवता ने सारा विष सोखकर उनकी रक्षा की थी और उन्हें दस हजार हाथियों के बल का वरदान भी दिया था। भगवान कृष्ण ने बचपन में मथुरा में कालिया नाग का मंथन कर उसे सागर में जाने का आदेश दिया था। नाग हमारी संस्कृति का प्रमुख अंग है और प्रकृति के लिए भी बहुत अच्छे माने गए हैं। उन्हें किसानों का मित्र भी माना गया है। वे जंगल एवं खेतों में हानि पहुंचाने वाले चूहे आदि जंतुओं से किसानों की सहायता करते हैं। सांप को दूध पिलाने की परंपरा प्राचीन काल से रही है। भारतीय समाज में नाग को अपने पितर एवं देवता का भी प्रतीक माना जाता है। यदि सपने में नाग दिख जाए अथवा घर में कोई सर्प निकल आए तो उसे देवता मानकर अधिकतर छोड़ दिया जाता है।


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