गजछाया योग में करें ये 3 उपाय, अगले 12 वर्षों तक बेहद प्रसन्न होंगे पूर्वज
सर्व पितृ अमावस्या पितरों की विदाई का दिन होता है. कहा जाता है कि इस दिन हमारे पूर्वज पितृ लोक वापस लौट जाते हैं. इस बार सर्व पितृ अमावस्या के दिन बेहद शुभ गजछाया योग बन रहा है. ऐसे में कुछ विशेष उपाय करने से पितरों को काफी शांति मिलती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के साथ पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का समापन हो जाता है. जो लोग किसी कारण से पितरों की श्राद्ध उनकी तिथि पर करने से चूक गए हैं, या जिनको पितरों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है, वे लोग सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने सभी पूर्वजों की श्राद्ध कर सकते हैं. इसे विसर्जनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस बार सर्व पितृ अमावस्या तिथि 6 अक्टूबर को पड़ रही है.
ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो इस बार सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की सूर्योदय से लेकर शाम 4 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में होंगे. इससे बेहद शुभ गजछाया योग बन रहा है. इससे पहले ये अति शुभ योग साल 2010 में बना था. गजछाया योग में कोई भी काम करने से उसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. कहा जाता है कि गजछाया योग के दौरान पितरों की श्राद्ध करने या उनके निमित्त अन्य उपाय करने से पितर 12 वर्षों के लिए तृप्त हो जाते हैं. 6 अक्टूबर के बाद ये गजछाया योग 8 साल बाद यानी वर्ष 2029 में बनेगा.
ये उपाय करने से बेहद प्रसन्न होंगे पूर्वज
दान करें
अमावस्या के दिन पितरों की श्राद्ध करने के अलावा घी मिली हुई खीर दान करने से पितरों को अति प्रसन्नता का अनुभव होता है. इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए और वस्त्र आदि सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए. इससे पितरों को संतुष्टि मिलती है और वो अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं.
सरसों के तेल का दीपक जलाएं
कहा जाता है कि पितृ अमावस्या के दिन पूर्वज पितृ लोक के लिए लौट जाते हैं. ऐसे में शाम के समय सरसों के तेल के दीपक जलाकर दक्षिण दिशा में रखने चाहिए. अगर संभव हो तो आप 16 दीपक रखें. अगर 16 नहीं रख सकते तो एक पीतल के दीपक को ऐसे जलाएं कि वो सारी रात जलता रहे. कहा जाता है कि ऐसा करने से पितर आशीर्वाद देते हैं और पितृ दोष का प्रभाव काफी हद तक समाप्त हो जाता है.
गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें
पितृ पक्ष अमावस्या की शाम को दक्षिण दिशा में मुंह करके बैठें और एक दीपक जलाएं. इसके बाद गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें. पाठ समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु को याद करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे पितरों की नाराजगी को दूर करें और किसी भी तरह के पितृ दोष से मुक्ति दिलाएं. इसके बाद पितरों को जलेबी का भोग लगाएं. साथ ही इस मंत्र 'ओम श्री सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेशम् हं हं सुख शांतिम् देहि फट: स्वाहा' का जाप करें. इसके बाद पीने का पानी जहां रखते हैं, वहां जलेबी रखें और कुत्ते को भी जलेबी खिलाएं.