शादी की डेट फिक्स करते समय न करें ये गलतियां, नहीं तो होगा अशुभ

हिंदू मान्यताओं में विश्वास रखने वाले कई लोग ज्योतिष को मानते हैं. लोग शादी से पहले कुंडली मिलान कराते हैं.

Update: 2021-09-19 03:22 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू मान्यताओं में विश्वास रखने वाले कई लोग ज्योतिष को मानते हैं. लोग शादी से पहले कुंडली मिलान कराते हैं. ज्योतिष में कुंडली मिलान का काफी महत्व है. इसके अलावा शादी से पहले ज्यादातर लोग किसी पंडित विवाह की तारीख तय कराते हैं. शादी की तारीख तय करने से पहले कुछ नियम हैं, जिनका पालना करने से परिवार में हमेशा खुशियां रहती हैं. आज हम आपको शादी की डेट फिक्स करने के 5 नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं. इन नियमों का ध्यान रखना जरूरी होता है.

जिस महीने में हुई थी मां-बाप की शादी उसे करें अवॉइड
जिस महीने में मां-बाप की शादी हुई थी, उसमें कभी भी शादी नहीं करनी चाहिए. जैसे किसी के माता-पिता की शादी फरवरी में हुई थी, तो उन लोगों को इस महीने को अवॉइड करना चाहिए. इस बात को ज्यादातर लोग नहीं जानते. लेकिन इस बात का ख्याल रखना जरूरी होता है.
घर की बड़ी संतान की ज्येष्ठ में नहीं करनी चाहिए शादी
घर के सबसे बड़े बेटे या बेटी की शादी कभी भी ज्येष्ठ महीने में नहीं करनी चाहिए. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से ज्येष्ठ का महीना मई और जून के बीच पड़ता है. ज्येष्ठ के महीने में पहली संतान की शादी शुभ नहीं मानी जाती. इसलिए शादी की डेट फिक्स करते समय इस बात का विशेष खयाल रखें.
इन नक्षत्रों में न करें विवाह
पूर्वा, फाल्गुनी और पुष्य नक्षत्र को विवाह के लिए अच्छा नहीं माना जाता. ऐसे में जब आप विवाह की तिथि निकलवा रहे हों, तो एक बार पंडित से इस बात का पता कर लें कि इस दौरान इनमें से कोई नक्षत्र तो नहीं है. स्पष्ट होने के बाद ही तिथि निर्धारित करें.
तारा अस्त हो तो न करें विवाह
गुरु और शुक्र में गोचर में हों और तारा अस्त हो, वो समय विवाह के लिए ठीक नहीं होता. इसके अलावा चातुर्मास का समय भी विवाह के लिए शुभ नहीं ​माना जाता. इसलिए इन तिथियों में भी विवाह करने से बचना चाहिए.
सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय न करें शादी
जिस दिन सूर्य या चंद्र ग्रहण हो, उससे तीन दिन पहले और तीन दिन बाद शादी की डेट फिक्स नहीं करनी चाहिए. ग्रहण के दौरान कोई भी वैवाहिक कार्य अशुभ माना जाता है.


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