Chaitra Navratri 2022 : नवरात्रि के आखिरी दिन हवन करना क्यों जरूरी है, जानिए मुहूर्त
इन दिनों चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri ) चल रहे हैं और आज 09 अप्रैल, दिन शनिवार को अष्टमी तिथि है
इन दिनों चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri ) चल रहे हैं और आज 09 अप्रैल, दिन शनिवार को अष्टमी तिथि है. नवरात्रि चाहे कोई भी हों, इसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा (Maa Durga) का पूजन करने के बाद नवमी वाले दिन हवन करना जरूरी होता है. मान्यता है कि इसके बाद ही आपकी नौ दिनों की साधना पूरी होती है और आपको साधना का पुण्य प्राप्त होता है. इसके अलावा हवन (Havan) को शुद्धिकरण का एक कर्मकांड माना गया है. इससे जीवाणुओं का नाश होता है और आसपास का वातावरण शुद्ध होता है, साथ ही चारों ओर सकारात्मकता का संचार होता है. अगर आप भी नवमी वाले दिन हवन करना चाहते हैं, तो यहां जानिए हवन से जुड़ी जरूरी जानकारी.
चैत्र नवरात्रि का हवन मुहूर्त
09 अप्रैल, दिन शनिवार, देर रात 01:23 बजे से नवमी तिथि प्रारंभ होगी और 11 अप्रैल, दिन सोमवार, सुबह 03:15 बजे तक रहेगी. इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं. 10 अप्रैल को सुबह 04:31 बजे से सुबह 06:01 बजे तक रवियोग रहेगा. दोपहर 12:04 बजे तक सुकर्मा योग और रवि पुष्य योग व सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा. ऐसे में दिन में किसी भी समय यज्ञ करना शुभ फलदायी होग और आपकी मनोकामना पूर्ण करने वाला होगा.
हवन के लिए सामग्री
आम की लकड़ियां, हवन कुंड, कलावा, सूखा नारियल, सुपारी, लौंग, इलायची, पान का पत्ता, गाय का घी, हवन सामग्री, कपूर, चावल, जौ, शक्कर, बताशा, हवन पुस्तिका आदि.
कैसे करें हवन
हवन कुंड को गाय के गोबर या मिट्टी से लेप लें. अगर हवन कुंड नहीं है, तो आप इसे ईंटों से भी तैयार कर सकते हैं. कुंड के चारों और धागा बांध दें, फिर स्वास्तिक बनाकर इसकी पूजा कर लें. हवन कुंड पर तिलक करें और फूल, अक्षत अर्पित करें. हवन सामग्री को तैयार कर लें. इसमें घी, शक्कर, चावल, जौ और कपूर डालें. इसके बाद हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर चार समिधा यानी आम की लकड़ी रखें. इन चारों समिधा के दोनों तरफ पहले कलावा बांध लें. बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें. इसके बाद हवन कुंड में आम की और लकड़ियां लगाएं और अग्नि प्रज्जवलित करें. इसके बाद माता का मंत्र बोलते हुए घी और तैयार हवन सामग्री से आहुति दें. हवन करने के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें, उन्हें भोजन कराएं और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. इसके बाद दक्षिणा व उपहार आदि देकर उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करें.