हिंदू धर्म में हर तिथि का अपना विशेष महत्व है. इस क्रम में वैशाख खत्म होते-होते एक बड़ा पर्व आने वाला है. जिसे हम बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जानते हैं, यह पर्व इस साल 5 मई 2023 दिन शुक्रवार को पड़ रहा है. मान्यतानुसार, वैशाख माह की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्मदिन हुआ था और इस वजह से इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं. शास्त्रों के अनुसार, गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार थे. कई लोग इस दिन व्रत धारण करते हैं और भगवान को प्रसन्न करने के तरीके अपनाते हैं. गौरतलब है कि इस दिन कुछ चीजें घर लाकर भी भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है. तो चलिए जानते हैं उन चीजों के बारे में.
इस बार की बुद्ध पूर्णिमा और भी खास होने वाली है, क्योंकि इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है. आपको बता दें कि यह चंद्र ग्रहण बुद्ध पूर्णिमा के दिन तुला राशि और स्वाती नक्षत्र में लगने जा रहा है. गौरतलब है कि बुद्ध पूर्णिमा का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन गंगा स्नान करने की परंपरा है. तो चलिए जानते है कि किन चीजों को घर लाकर भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है.
1- पीतल का हाथी
बुद्ध पूर्णिमा के दिन पीतल के हाथी को घर लाना बहुत ही शुभ होता है. मान्यतानुसार, यदि आप बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पीतल का हाथी घर लाते हैं, तो आपके घर से दरिद्रता मिट जाती है और घर परिवार में सुख शांति के साथ साथ धन वैभव भी बना रहता है.
2- बुद्ध की मूर्ति
बुद्ध की मूर्ति घर पर लाना बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है. क्योंकि फेंगशुई के अनुसार, गौतम बुद्ध की मूर्तियां शुभ और सौभाग्य की अग्रदूत हैं. इसलिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध की मूर्ति घर जरूर लाएं.
3- चांदी का सिक्का
बुद्ध पूर्णिमा के दिन घर में सोने व चांदी का सिक्का लेकर आना अत्यंत शुभ माना गया है. खासकर चांदी का सिक्का लाना बहुत ही शुभ होता है, ऐसा करने से आप पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष कृपा बनी रहती है.
4- श्री यंत्र
बुद्ध पूर्णिमा के दिन घर पर श्री यंत्र अवश्य लेकर आना चाहिए. मान्यतानुसार, श्रीयंत्र में माता लक्ष्मी का वास होता है. वैशाख पूर्णिमा के शुभ अवसर पर इसे घर पर लाने से आर्थिक स्तिथि मजबूत होती है.
5- कौड़ी
मां लक्ष्मी को कौड़ियां काफी प्रिया मानी गयी हैं , ऐसे में अगर आप वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर कौड़ी घर लेकर आते हैं, तो ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा आप पर व आपके घर पर सदैव बनी रहती है.