सभी पापों से मुक्ति दिलाएगा अपरा एकादशी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो हर महीने में 2 बार (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) आती है।

Update: 2021-06-05 09:58 GMT

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जो हर महीने में 2 बार (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) आती है। बता दें कि साल में कुल 24 एकादशी आती है। मान्यताओं के अनुसार, एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ज्येष्ठ माह , कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी भी कहा जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करने पर मनवांछित फल मिलता है।

अपरा एकादशी की शुभ तिथि:
अपरा एकादशी का व्रत - 6 जून, 2021
अपरा एकादशी तिथि प्रारंभ - 05 जून 2021, 04:07 मिनट
अपरा एकादशी तिथि समाप्त - जून 06, 2021, सुबह 06:19 मिनट
अपरा एकादशी व्रत पारण मुहूर्त - 07 जून 2021, सुबह 05:12 से सुबह 07:59 तक
अपरा एकादशी का महत्व
कहा जाता है कि मनोकामना पूर्ति के लिए पांडवों ने भी अपरा एकादशी का व्रत किया था। मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलती है। साथ ही इससे सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है।
अपरा एकादशी पूजा विधिः
व्रत रखने के लिए सुबह प्रात काल उठकर स्नान करें और फिर घर के मंदिर में दीप जलाएं। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति का गंगाजल से अभिषेक करके उन्हें फूल व तुलसी अर्पित करें। भगवान की आरती करने के बाद व्रत का संकल्प लें। शाम के समय भी आरती करने के बाद ही फलाहार करें।
इन बातों का रखें खास ख्याल
. ध्यान रखें कि इस दिन भगवान विष्णु को सात्विक चीजों का भोग लगाएं। साथ ही भगवान के प्रसाद में तुलसी जरूर लगवाएं क्योंकि इसके बिना वह भोग ग्रहण नहीं करते।
. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी जरूर करें।
. व्रत में रात में सोने की बजाए भजन-कीर्तन करते रहें।
. व्रत की अगली सुबह ब्राह्मण को भोजन करवाकर उन्‍हें दान-दक्षिणा दें। उसके बाद खुद भोजन करें।
यहां पढ़ें व्रत कथा
पुराने समय में महीध्वज नाम का एक राजा था, जो बहुत धर्मात्मा था लेकिन उसके छोटे भाई बहुत क्रूर, अधर्मी व अन्यायी था। एख दिन उन्होंने रात के समय अपने बड़े भाई की हत्या करके उसके शरीर को जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। आकल मृत्यु के कारण राजा की आत्मा पीपल के नीचे ही रहने लगी और उत्पात मचाने लगी। एक दिन ऋषि धौम्य वहां से गुजरे और अपने तपोबल से उनका अतीत जान गए। तब उन्होंने राजा की आत्मा को पीपल से नीचे उतारकर परलोक विद्या का उपदेश दिया। इसके बाद राजा को मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया।


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