बिहार। बिहार विधान परिषद की 11 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर अब सरगर्मी बढ़ गई है। विधान परिषद जाने को लेकर नेता जहां बड़े नेताओं की 'गणेश परिक्रमा ' में लगे हैं, वहीं इस चुनाव में बड़ा खेला होने की भी संभावना है। विधान परिषद की 11 सीटों पर होने वाले चुनाव में क्रास वोटिंग तय माना जा रहा है। दो दिन पहले ही कांग्रेस के विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरभ तथा राजद की विधायक संगीता देवी भाजपा के साथ आ गए हैं। इससे पहले ही सरकार बदलने के बाद फ्लोर टेस्ट के दौरान राजद के तीन विधायक भाजपा के पक्ष में पहुंच चुके थे।
इधर, सत्ता पक्ष के नेता अभी और विधायकों के अपने साथ आने का दावा कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले महीने होने वाले विधान परिषद के चुनाव के दौरान कई विपक्षी विधायक सत्ता पक्ष के प्रत्याशी के समर्थन में मतदान कर सकते हैं। विधानसभा में संख्या गणित के हिसाब से एक विधायक की सदस्यता रद्द होने के बाद फिलहाल विधायकों की कुल संख्या 242 है। महागठबंधन के 6 विधायकों के बागी होने के बाद उनके पास विधायकों की संख्या घटकर 107 रह गई है। विधान परिषद के एक सीट के लिए 22 विधायकों की जरूरत पड़ती है। इस हिसाब से 5 सीट के लिए 110 विधायकों की जरूरत है। यदि कुछ और विधायकों ने पाला बदल लिया और चुनाव की नौबत आ गई, तो क्रॉस वोटिंग का खतरा रहेगा।
इधर, सत्ता पक्ष के दावे पर गौर करें, तो माना जा रहा है कि चुनाव में कोई खेला हो सकता है। बिहार विधान परिषद की जिन 11 सीटों के लिए 21 मार्च को चुनाव होना है, उसमे फिलहाल एनडीए के पास 8 सीटें हैं, जबकि महागठबंधन के पास तीन सीटें हैं। 4 मार्च को विधान परिषद चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी। 11 मार्च तक नामांकन किए जाएंगे। 21 मार्च को रिक्त सीटों के लिए मतदान होगा। इसी दिन चुनाव परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। रिक्त होने वाली सीटों में भाजपा मंगल पांडेय, शाहनवाज हुसैन और संजय पासवान की तीन सीट, जदयू से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, संजय झा, रामेश्वर महतो और खालिद अनवर की चार सीट है।
राजद से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और रामचंद्र पूर्वे की दो सीट है। कांग्रेस से प्रेमचंद्र मिश्रा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संतोष सुमन की एक-एक सीट है। संजय झा अब राज्यसभा के सदस्य बन गए हैं।