मोदी सरकार में केंद्रीय कौशल विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), शिक्षा राज्य मंत्री और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित किए जाने की जरूरत है। ताकि लोगों को सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा से राहत मिले। ‘हिन्दुस्तान’ के राजनीतिक संपादक मदन जैड़ा ने उनसे तमाम मुद्दों पर बातचीत की। आप पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए क्या कुछ खास करने जा रहे हैं? केंद्र सरकार का मंत्री होने के नाते संपूर्ण देश मेरी प्राथमिकता है। लेकिन, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हमारी मजबूत राजनीतिक जमीन है। वहां हमारे जनप्रतिनिधि हैं। मैं समझता हूं कि वहां स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बड़ा कार्य या बड़ी परियोजनाओं की जरूरत है। जहां औद्यौगिक केंद्र हैं, वहां कौशल विकास की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। हाल में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एक बैठक के दौरान यह बात सामने आई कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जन शिक्षण संस्थान नहीं हैं। इसकी समीक्षा की जा रही है। इसी प्रकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जो स्थान शिक्षा के केंद्र हैं, वहां के विश्वविद्यालयों में सीएसआर की मदद से नए तकनीकी कोर्स शुरू किए जा सकते हैं। अभी में यही कह सकता हूं कि जब भी मेरी मेज पर बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर या मथुरा से जुड़ी कोई फाइल आएगी, उसे मंजूरी में देर नहीं लगेगी। Priority
पश्चिमी उत्तर प्रदेश Western Uttar Pradesh में अरसे से कोई केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं खुला है, क्या आप पहल करेंगे ? निश्चित रूप से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अलावा और कोई केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है। लेकिन, अभी में इस बारे में कुछ नहीं कह सकता। एक बहुत पुरानी मांग है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित हो, आप इस पर क्या कहेंगे ? चौधरी अजित सिंह हमेशा इस मांग का समर्थन करते थे। इधर, तक भी बात पहुंची है। राज्य की तरफ से भी प्रस्ताव भेजे गए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश और राज्य सरकार को इस बारे में निर्णय करना है। पिछले दिनों कानून मंत्री ने भी इस मुद्दे पर संसद में स्थिति स्पष्ट की थी। उम्मीद करता हूं कि इसे न्यायिक सुधारों से जोड़ा जाएगा, ताकि उच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या घटे। वादियों को अनावश्यक रूप से 600-700 किलोमीटर की यात्रा न करनी पड़े। केंद्रीय कानून मंत्री