राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने बयान को लेकर विवादों में घिरे, अब सफाई आई
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने बयान को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं. शिवसेना, मनसे, NCP और कांग्रेस के बाद अब बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने भी उनके बयान से असमहति जताई है. आशीष शेलार ने ट्वीट कर कहा कि माननीय राज्यपाल के बयान से हम कतई समहत नहीं हैं.
बीजेपी विधायक ने ट्वीट किया, "माननीय राज्यपाल के बयान के साथ हम कतई सहमत नहीं हैं. महाराष्ट्र और मुंबई मराठी लोगों की मेहनत, पसीने और शहादत के साथ खड़े हैं. ऐसा हमारा गौरवशाली इतिहास पनो पानी कहता है. किसी को भी उसे किसी भी स्थिति से नाखुश करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए!"
बीजेपी विधायक से पहले शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र में बीजेपी पुरस्कृत मुख्यमंत्री के काबिज होते ही स्थानीय मराठी और छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान शुरू हो गया है. स्वाभिमान और अभिमान के नाम पर बनी शिवसेना से निकलने वाले लोग यह सुनकर भी चुप बैठे हैं. राज्य के लोगों ने अपनी मेहनत से महाराष्ट्र बनाने के लिए पसीना, खून बहाया है. सीएम एकनाथ शिंदे इसकी निंदा करें और केंद्र से राज्यपाल को हटाने की मांग करें. यह सावित्रीबाई फुले और शिवाजी का अपमान है.
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, "हम महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा की गई टिप्पणी की निंदा करते हैं. उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए. उन्हें तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटाया जाना चाहिए."
NCP विधायक ने कहा है कि महाराष्ट्र और मुंबई के लोग कुशल और सक्षम हैं. हम ईमानदार लोग हैं जो चटनी से रोटी खाते हैं और दूसरों को खिलाते हैं. विधायक मितकारी ने कहा है कि आपने मराठी लोगों का अपमान किया है, जल्द से जल्द महाराष्ट्र से माफी मांगें.
वहीं अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने बयान को वापस ले लिया है. उन्होंने कहा कि राजस्थानी समाज के कार्यक्रम में मैंने जो बयान दिया था, मेरा मराठी लोगों को कम आंकने का कोई इरादा नहीं था. मैंने केवल गुजराती और राजस्थानी मंडलों द्वारा व्यापार में किए गए योगदान पर बात की. मराठी लोगों ने मेहनत कर महाराष्ट्र का निर्माण किया. इसीलिए आज कई मराठी उद्यमी प्रसिद्ध हैं. वे न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि देश और दुनिया में मराठी का झंडा फहरा रहे हैं. इसलिए मराठी लोगों के योगदान को कम करके आंकने का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. महाराष्ट्र के निर्माण में मराठी लोगों की मेहनत का सबसे ज्यादा योगदान है.
हाल ही में राजनीतिक चश्मे के माध्यम से सब कुछ देखने की दृष्टि विकसित हुई है, हमें उसे बदलना होगा. एक समुदाय की सराहना करना दूसरे समुदाय का अपमान नहीं है. राजनीतिक दलों को इस पर अकारण विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए. कम से कम मेरे द्वारा मराठी लोगों का कभी अपमान नहीं किया जाएगा. विभिन्न जातियों और समुदायों से बनी इस मराठी भूमि की प्रगति और विकास में सभी का योगदान है और मराठी लोगों का योगदान अधिक है.
दरअसल मुंबई में एक लोकल कार्यक्रम में शामिल हुए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था, ''कभी-कभी मैं यहां लोगों से कहता हूं कि महाराष्ट्र में विशेषकर के मुंबई-ठाणे से गुजरातियों और राजस्थानियों को निकाल दो, तो तुम्हारे यहां पैसा बचेगा ही नहीं. ये मुंबई आर्थिक राजधानी कहलाती, वो आर्थिक राजधानी कहलाएगी ही नहीं.''