यूपी पुलिस ने कहा- 'थानेदार करे इनकार तो ऐसे दर्ज कराएं एफआईआर'

शांति व्यवस्था बनाए रखना खाकी का दायित्व है।

Update: 2022-03-13 14:44 GMT

शांति व्यवस्था बनाए रखना खाकी का दायित्व है। साथ ही समाज में अपराध पर नियंत्रण रखना कर्तव्य है। कई बार भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की वजह से लोगों को न्याय नहीं मिल पाता, या न्याय मिलने में देरी होती है। पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी पूरा प्रयास करते हैं कि लोगों को न्याय मिलने में देरी न हो। कोई भी घटना घटित होने पर पीड़ित को सबसे पहले पुलिस को सूचना देनी होती है। घटना से संबंधित जानकारी पुलिस के पास रजिस्टर करवानी होती है, जिसे एफआईआर कहते हैं। जिसके आधार पर पुलिस जांच करती है। कई बार सुनने को मिलता है कि पुलिस ने पीड़ित की शिकायत दर्ज नहीं की है। अब आपको बताते हैं कि ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए। पुलिस रिपोर्ट न लिखे तो क्या करे पीड़ित...

ऑनलाइन रजिस्टर कराएं शिकायत
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रेम प्रकाश(आईपीएस) ने बताया कि पीड़ित की शिकायत को अगर पुलिस रजिस्टर करने से मना करती है तो पीड़ित शिकायत को ऑनलाइन रजिस्टर करा सकता है। अगर पुलिस शिकायत दर्ज करने से मना करती है तो इसकी शिकायत जिले में तैनात पुलिस विभाग के आलाधिकारी से करनी चाहिए। अगर चौकी, थाना, कोतवाली और आलाधिकारी भी आपकी शिकायत नहीं सुनते तो पीड़ित सीआरपीसी(CrPC) के सेक्शन 156-(3) के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के पास शिकायत कर सकता है। मजिस्ट्रेट के पास अधिकार होता है कि वह पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं।
सीआरपीसी की धारा 156 (3)
सीआरपीसी की धारा 156 (3) में प्रावधान है, अगर पुलिस तहरीर मिलने पर केस न लिखे तो कोर्ट उसे आदेश दे सकती है। कई बार देखने को मिलता है कि हत्या तक के मामले भी कोर्ट के पास पहुंच जाते हैं, जिनमें पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती। अहम बात ये होती है कि कोर्ट के आदेश पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी ही पड़ती है। अगर कोर्ट का आदेश नहीं माना जाता है तो यह कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट( न्यायालय की अवमानना ) की श्रेणी में आता है।
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