जीवन की शाम पाल-पोस कर जिसे बनाया ‘निडर’, अब उन्हीं का सता रहा डर

Update: 2023-06-10 06:04 GMT

वाराणसी न्यूज़: पूरे जतन से बच्चों को पाला-पोसा. संस्कार व मूल्यों की शिक्षा दी. पढ़ा-लिखाकर उन्हें काबिल बनाया कि अपने पैरों पर खड़े हो सकें. आशियाना बनाकर ठौर भी दिया. बच्चों के सुख-दुख को हमेशा महसूस किया.

अब यही बच्चे मां की ममता और पिता का स्नेह भूल गए हैं. नतीजा, आए दिन घर में कलह, बुजुर्गों का उत्पीड़न होने से उचित परवरिश, संस्कार व मूल्यों की बात बेमानी होती जा रही है. पूर्वांचल में कुल 332 ऐसे मामले सामने आए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 75 मामले बलिया के हैं, जबकि 65 शिकायतों के साथ वाराणसी दूसरे स्थान पर है. वहीं, मऊ में 50, सोनभद्र में 42, आजमगढ़ में 26, चंदौली में 25, भदोही में 20, जौनपुर में 17 और मिर्जापुर में 12 मामले सामने आए हैं.

लाचार की गुहार सुनिए ‘सरकार’ विकास भवन स्थित सीनियर सिटीजन अधिकारी कार्यालय (एससीओ) में ऐसे मामलों की सुनवाई होती है.

जिनमें चेहरे पर मायूसी लिए लाचार मां-बाप अपने बच्चों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की शिकायत लेकर पहुंचते हैं. उम्र के इस पड़ाव कहां जाएं? उनका कौन सहारा बनेगा? कैसे जीवन गुजरेगा? मायूस माता-पिता आंखों में उम्मीद की किरण लिए ‘सरकार’ से अपनी बात कहते हैं.

बेलवा बाबा के पास रहने वाले दूरसंचार विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी बेटे-बहू के उत्पीड़न से परेशान हैं. समझाने पर बात नहीं बनी तो उन्होंने ‘सरकार’ की शरण ली.

बुजुर्गों के उत्पीड़न के मामलों में पहले दोनों पक्षों की काउंसिलिंग की जाती है. समझान से बात नहीं बनती तो कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है.

-अमन पाठक, सीनियर सिटीजन

अधिकारी, वाराणसी

भदोही-चंदौली के भी मामले

वरिष्ठ नागरिक कार्यालय में वाराणसी के अलावा चंदौली और भदोही के बुजुर्गों से जुड़े मामले भी सुने जाते हैं. कार्यालय के आंकड़ों पर गौर करें तो तीनों जिलों से इस वित्तीय वर्ष में कुल 110 शिकायतें दर्ज की गईं. अफसरों के मुताबिक इनमें लगभग 60 फीसदी मामलों का समाधान हो चुका है.

तीन दिन सुनते हैं वरिष्ठजनों की गुहार

एससीओ ऑफिस में दोनों पक्षों को बुलाकर सुनवाई की जाती है. इस दौरान जानकारी, कानूनी सहायता और मार्गदर्शन (काउंसिलिंग) दिया जाता है. पहले तो उत्पीड़न करने वाले की काउंसिलिंग की जाती है. अगर वह नहीं माना तो कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसके लिए पीड़ित को कार्यालय द्वारा नामित अधिवक्ता से निशुल्क परामर्श मिलता है.

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