आतंक का प्रतीक था मुख्तार अंसारी, मौत के बाद जिले ने ली राहत की सांस- पारस नाथ राय

Update: 2024-05-29 07:53 GMT
उत्तर प्रदेश : ग़ाज़ीपुर निर्वाचन क्षेत्र के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पारस नाथ राय को चुनावी मैदान में उतारा है। पारस नाथ राय के नाम का चयन पूर्वांचल में कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी। पारस राय का मुकाबला वर्तमान सांसद अफजल अंसारी से है। अफजल अंसारी मुख्तार अंसारी के भाई है। हाल में ही मुख्तार अंसारी की मौत हो गई थी। इन सब के बीच पारस नाथ राय का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंन दावा किया किमुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में उन्होंने घोषणा की थी
कि मेरा चुनाव प्रचार करो, परीक्षाओं के बारे में मैं देखूंगा।
भाजपा नेता ने कदा कि जब ऐसी घोषणाएं नेताओं द्वारा की जाने लगीं तो इससे शिक्षा का स्तर गिर गया। मुख्तार अंसारी को लेकर भी उन्होंन बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी इस जिले में आतंक का प्रतीक था। उनका आतंकवाद से अंतरराष्ट्रीय संबंध था। जिस दिन उनकी मृत्यु हुई, जिले ने राहत की सांस ली। अफजल का प्रचार गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है। लोगों के बीच मुख्तार की मौत "अप्राकृतिक" है और यह चुनावी मुद्दों में से एक है। अफजल की ओर से सहानुभूति कार्ड भी खेलने की कोशिश हो रही है।
मूलतः, भाजपा को पूर्वांचल में एक 'भूमिहार' (हिंदू जाति) उम्मीदवार को मैदान में उतारने की ज़रूरत थी। उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रसिद्ध भूमिहार नेता मनोज सिन्हा ने कई वर्षों तक ग़ाज़ीपुर की सीट पर कब्ज़ा रखा। पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण में ग़ाज़ीपुर से केवल दो संभावित उम्मीदवार प्रस्तुत किए गए: मनोज सिन्हा और उनके बेटे अभिनव सिन्हा। बलिया और गाज़ीपुर ही ऐसे निर्वाचन क्षेत्र थे जहाँ भूमिहार उम्मीदवार को मैदान में उतारा जा सकता था। बलिया में ठाकुर उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह का टिकट बदलकर भूमिहार उम्मीदवार को देना एक प्रतिक्रियावादी कदम के तौर पर देखा जा सकता है।
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