गांधी आश्रम के दोषी पदाधिकारियों से वसूले जाएंगे 62 लाख

Update: 2023-02-08 10:43 GMT

मेरठ: गांधी आश्रम में व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार पर 'जनवाणी' लगातार प्रहार कर रहा है। गांधी आश्रम की 200 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को बेचने का जो षड्यंत्र हो रहा है, उसको लेकर भी 'जनवाणी' ने खुलासे किए।

अब डीएम दीपक मीणा ने अपर नगर मजिस्ट्रेट को गांधी आश्रम से संबंधित कई मामलों को लेकर जांच सौंपी थी, जिसमें अपर नगर मजिस्ट्रेट ने स्पष्ट आदेश किया है कि संस्था के दुरुपयोग किए गए 62 लाख रुपये की वसूली करने के लिए आदेश दिए गए हैं।

इसमें क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारियों को एक नोटिस जारी किया गया है तथा 62 लाख वसूलने के लिए पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय दिया गया है। अपर नगर मजिस्ट्रेट ने कहा है कि क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम मेरठ के दोषी पदाधिकारी पृथ्वी सिंह रावत के विरुद्ध दंडात्मक वैधानिक कार्रवाई करने, उनकी सदस्यता समाप्त करने तथा संस्था की धनराशि के किए गए दुरुपयोग को लेकर सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

पृथ्वी सिंह रावत क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम समिति के सचिव है, उनके खिलाफ लखनऊ हजरतगंज थाने में एक मुकदमा भी दर्ज है। इसमें फिलहाल किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि गांधी आश्रम समिति के दोषी पदाधिकारियों की सदस्यता भी खत्म करने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद दोषी पदाधिकारी चुनाव करा कर फिर से गांधी आश्रम समिति पर काबिज होना चाहते हैं।

इसकी योजना बनाई जा रही है। डीएम दीपक मीणा ने गांधी आश्रम को लेकर अपर नगर मजिस्ट्रेट कोजांच करने के आदेश दिए हैं। डीएम के आदेश पर ही अपर नगर मजिस्ट्रेट ने जांच पड़ताल आरंभ कर दी है, जिसमें सर्वप्रथम 62 लाख रुपये वसूल करने के आदेश दिए हैं।

बिल्डिंग की हो चुकी नीलामी

गांधी आश्रम एक तरह से राष्टÑीय धरोहर हैं। इस बिल्डिंग को नष्ट नहीं किया जा सकता। ये एक तरह से प्राचीन हैं, लेकिन गांधी आश्रम समिति के पदाधिकारियों ने इस प्राचीन बिल्डिंग की शहर के एक बिल्डर को डीड कर दी थी। इसके बाद बिल्डर ने प्राचीन बिल्डिंग में तोड़फोड़ कर इसकी ऐतिहासिकता को नष्ट कर दिया था।

शहर के लोगों के विरोध करने और मामला मीडिया में सुर्खियों में आने के बाद इस प्रकरण को रोक दिया गया था। यह भ्रष्टाचार का मामला उठा तो लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पहुंचा, जिसमें खादी ग्रामोद्योग के आला अफसरों ने संज्ञान लिया, जिसके बाद ही प्राचीन धरोहर को बेचने से बचा लिया गया था। अब फिर से इसमें साजिश चल रही हैं।

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