वेडिंग डेस्टीनेशन के रूप में मिल रही जैसलमेर को पहचान
चालू वर्ष में संख्या बढ़ रही है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : वर्ष 1974 में इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कार्यकाल में राजस्थान (Rajasthan) के थार मरूस्थल में भारत के प्रथम परमाणु परीक्षण की सफलता मिली थी. अब विकसित स्वर्णनगरी जैसलमेर का पर्यटन इतिहास परवान पर है. पोकरण परमाणु नगरी के रूप में मिसाइलों तथा विभिन्न सैन्य अस्त्रों के परीक्षण स्थल की पहचान बना चुका है.परमाणु परीक्षण स्थल पोकरण का अवलोकन कर इन्दिरा गांधी ने अचानक जैसलमेर (Jaisalmer) में पुरा महत्व की पटवों की हवेलियों सहित अन्य इमारतों को देखा.इन स्मारकों की जर्जर हालत से चिंतित गांधी ने दिल्ली लौटकर तत्कालीन मुख्यमंत्री (Chief Minister) हरिदेव जोशी को
लिखे पत्र में शिल्प वैभव के अनूठे खजाने के संरक्षण संवर्धन की हिदायत दी. नतीजतन, जैसलमेर (Jaisalmer) मे देसी-विदेशी पर्यटकों की दस्तक मे तेजी आई.इसी वर्ष फिल्मकार सत्यजित रे ने बंगाल को स्याही व स्क्रीन से जोड़कर फिल्म सोना (Gold)र किला बनाई. एक फ्रेंच इंजीनियर के फोटोग्राफी के हुनर ने फ्रांसीसी पर्यटकों को जैसलमेर (Jaisalmer) देखने के लिए प्रेरित किया. वर्ष 1979 से आरम्भ मरू मेले ने दुनिया में धूम मचा दी है. विदेशी पर्यटक तो इसके दीवाने है.आंकड़ों के अनुसार 1975 में 1174 विदेशी पर्यटकों की तुलना में 1603 विदेशी सैलानी जैसलमेर (Jaisalmer) पहुंचे.अगले पांच वर्षो में भी यही स्थिति रही. वर्ष 1980 में 6967 विदेशी पर्यटकों के मुकाबले देसी पर्यटकों की संख्या 4414 थी. वर्ष 1986 में 21560 विदेशी पर्यटक आये. कोविड 19 से पहले विदेशी पर्यटकों की संख्या 136406 रही. यात्रा प्रतिबंधों के कारण इनकी संख्या में कमी आई. देसी पर्यटकों की संख्या भी घटी.
चालू वर्ष में संख्या बढ़ रही है.
घटनाक्रम के अनुसार 18 मई 1974 को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में यह परीक्षण किया गया. परमाणु स्थल से 2 किमी दूरी पर नियंत्रण कक्ष था और 5 किमी पर सैन्य अधिकारी वैज्ञानिकों इंजीनियरों की टीम नजर रखे हुए थे. परीक्षण का समय सुबह 8 बजे तय था. वैज्ञानिक वीरेन्द्र सेठी को अंतिम जांच के लिए भेजा गया. लौटते समय जीप खराब होने पर सेठी पैदल नियंत्रण कक्ष पहुंचे. इस कारण पांच मिनट के विलम्ब से प्रणब दस्तीदार ने परमाणु परीक्षण का बटन दबाया और इसके साथ भारत दुनिया का छठां परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बन गया. परमाणु परीक्षण का कूट नाम स्माइलिंग बुद्वा था. संयोगवश उस दिन बुद्व पूर्णिमा थी. प्रधानमंत्री की घोषणा से दुनिया को इस परीक्षण की जानकारी मिली.