"गौवंश भी एक तीर्थ हैं,गौ माता कामधेनु हैं": Swami सदाशिव नित्यानंद गिरी महाराज

Update: 2024-12-26 10:08 GMT
Raisen रायसेन। जिले की तहसील सिलवानी अंचल के ग्राम मुआर में श्रीमद्भागवत कथा आयोजन किया जा रहा है। कथा का वाचन हिमालय ऋषिकेश से पधारे संत स्वामी सदा शिव नित्यानंद गिरी महाराज ने कहा की जब समुद्र मंथन हुआ तो समुद्र में से गाय माता निकली ।उसका नाम कामधेनु गौ माता रखा गया। जो की जीवों की कामना पूरी करती है। स्वामी ने कहा की गाय की सेवा करने मात्र से बड़ी से बड़ी बीमारियां और दुख दर्द मिट जाते हैं। जहां गाय होती है बहा सभी तीर्थ होते है। गाय एक जीता जागता तीर्थ है।गाय की सेवा मात्र से जीव को कई जन्मों के पाप कट जाते है।

गौ माता जो चारा खिलाया.... और पिलाया पानी
स्वामी जी ने गौ शाला का निरीक्षण किया और गौ माता को गुड़ खिलाकर फूल माला चढ़ाकर पूजा अर्चना की। गौ शाला समिति के सभी सदस्यों ने संतश्री महाराज का फूलमालाओं से गर्मजोशी से स्वागत किया और आशीर्वांचन सुनकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

स्वामी सदाशिव नित्यानंद गिरी महाराज ने कहा की मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं।
भगवान अवतरित हो माया के संग आते हैं....
कथा व्यास पर विराजित महाराज ने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं। साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है। जबकि शरीर नश्वर है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा बताती है कि कर्म ऐसा करो जो निस्काम हो वहीं सच्ची भक्ति है।भागवत कथा जीवन का सार मुख्य आधार है।
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