शिमला में फिर से पानी का संकट, 4 साल में न प्रोजेक्ट पर काम न कोई निकाला समाधान

पानी का संकट

Update: 2022-06-16 05:14 GMT

पानी के टैंकर से सप्लाई :वहीं , कई क्षेत्रों में जल निगम पानी के टैंकर से पानी की सप्लाई कर रहा, लेकिन कई क्षेत्र ऐसे जहां पर पानी के टैंकर भी नहीं पहुंच रहे. लोगों में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है.विपक्षी दल और लोग भी अब नगर निगम और सरकार के खिलाफ मुखर हो गए हैं. हालांकि, भाजपा शासित नगर निगम और प्रदेश सरकार द्वारा शिमला शहर को 24 घंटे पानी देने के दावे किए गए थे. 24 घंटे से दूर शहर में लोगों को 1 घंटा भी पानी नहीं मिल रहा.

बारिश नहीं होने से परेशानी: बारिश ना होने के चलते पेयजल स्त्रोतों का जल स्तर कम हो गया. गिरी और गुम्मा परियोजना से सबसे ज्यादा पानी शिमला लाया जाता ,लेकिन बीते दिनों इन दोनों परियोजनाओं में 8 से 10 एमएलडी तक पानी काम आ रहा है.पेयजल परियोजना गिरि में जलस्तर बहुत गिर गया है. 18 एमएलडी की क्षमता वाली इस परियोजना से अब शहर को 10 से 12 एमएलडी पानी ही मिल रहा है.गुम्मा से भी 24 की जगह 18 से 20 एमएलडी तो कोटी बरांडी से 5 की जगह औसतन 1 एमएलडी पानी मिल रहा है.

शिमला में पानी का संकट

सर्दी में पाइम जाम होने परेशानी: राजधानी शिमला में हर साल पानी की किल्लत से लोगों को जूझना पड़ता है. सर्दियों में जहां पाइपें जाम होने के चलते लोगों को पानी नहीं मिल पाता. वहीं ,गर्मियों में जल स्त्रोतों में जलस्तर कम होने के चलते पानी का संकट खड़ा हो जाता है. इसके अलावा मानसून के दौरान परियोजनाओं में गाद आने के चलते परियोजनाओं में पंपिंग नहीं हो पाती.

4 साल में प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं: शहर में जल निगम ने 2019 में 24 घंटे पानी देने का वादा किया था. इसके लिए सतलुज से रोजाना 75 एमएलडी पानी लिफ्ट करने व गिरी व गुम्मा योजनाओं में आवश्यक मरम्मत पर 366 करोड़ रुपए खर्च करने का प्लान तैयार किया गया था.वर्ल्ड बैंक फंडिंग से काम होना था, लेकिन 4 साल बाद भी इस प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हो पाया है.

शिमला में पानी का संकट

2018 में गहराया था जल संकट: शहर में 2018 में भी पानी का गंभीर संकट गहराया था और लोगों को 7 दिन बाद पानी दिया जा रहा था जिसके चलते लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने को भी मजबूर हो गए थे यही नहीं पर्यटन सीजन भी पूरी तरह से चौपट हो गया था होटलों में पानी न मिलने के चलते पर्यटक शिमला नही आ रहे थे । वही अब दोबारा से पानी का संकट खड़ा होने से पर्यटन कारोबारियों को फिर से चिंता सता रही है। हालांकि फिलहाल होटल मालिक टैंकरों से पानी की सप्लाई कर रहे हैं और होटलों में पानी की किल्लत फिलहाल नहीं हुई है लेकिन आगामी दिनों में पानी की स्थिति रही तो पर्यटन सीजन पूरी तरह से चौपट हो सकता है।हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, रिपोर्ट की तलब: पेयजल संकट का मामल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने जल निगम से पानी की रिपोर्ट तलब की थी और शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों की ओर से पेश किए गए आंकड़ों से हाईकोर्ट ने असंतोष जताया है. हाई कोर्ट ने शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगली सुनवाई में पूरे विस्तृत प्रस्ताव के साथ आए कि आने वाले समय में शहर में पेयजल सप्लाई कैसे सही होगी. शहर में पानी के पूरे आंकड़े भी प्रस्तुत करने होंगे.अधिकारियों से भी प्रस्ताव मांगा गया कि वह लीकेज को कैसे रोकेंगे. इसके लिए क्या प्रस्ताव उनके पास है. 22 जून को इस मामले में दोबारा सुनवाई होगी.

बुधवार को यह रहा पानी का हाल: बुधवार को शिमला में सभी परियोजनाओं से 39 एमएलडी पानी पहुंचा, जिसमें गुम्मा परियोजना से 21.37 एमएलडी , जबकि गिरी से 15.74 एमएलडी ,चुरट से 1.58 एमएलडी पानी आने के अलावा अन्य परियोजनाओं से पानी लिफ्ट किया गया. बुधवार को संजौली सहित कई क्षेत्रों में पानी की सप्लाई नहीं हो पाई. जनकी लक्कड़ बाजार ,माल रोड, कृष्णा नगर सहित कई क्षेत्रों में बुधवार को पानी की सप्लाई नहीं हुई.

पेयजल स्त्रोतों में पानी का स्तर कम: जल निगम के जीएम आरके वर्मा ने बताया कि पेयजल स्त्रोतों में पानी का स्तर कम हो गया, जिसके चलते शिमला शहर में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. तीसरे दिन सभी क्षेत्रों में पानी दिया जा रहा है. उनका कहना है कि पेयजल परियोजनाओं में जलस्तर बढ़ने के बाद शिमला में हर रोज लोगों को पानी मुहैया कराया जाएगा.

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