HP: नौकरी के लिए भटकाने पर वन विभाग को दो लाख रुपए कॉस्ट

Update: 2024-08-01 10:17 GMT
Shimla. शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट ने करुणामूलक आधार पर नौकरी पाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर करने पर वन विभाग पर दो लाख रुपए की कॉस्ट लगाई है। न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने याचिका से जुड़े तथ्यों व रिकार्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि वन विभाग के अधिकारियों का रवैया प्रार्थी के प्रति पूरी तरह से भेदभाव पूर्ण रहा है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी के पिता की 20 जुलाई, 2007 को मृत्यु हो गई थी, जो वन विभाग में वन कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत थे। इसके बाद प्रार्थी ने कानूनी उत्तराधिकारी होने के नाते वन रक्षक पद के लिए पूरी तरह से पात्र होने के कारण, प्रचलित नीति के अनुसार, वन रक्षक के रूप में करुणामूलक आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था। उसके आवेदन पर कार्रवाई की गई और उसे तीन सितंबर, 2008 को वन विभाग की ओर से साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। साक्षात्कार नौ सितंबर, 2008 को आयोजित किया गया था। प्रार्थी साक्षात्कार में उपस्थित हुआ और उसने शारीरिक माप, शारीरिक दक्षता परीक्षण और व्यक्तिगत साक्षात्कार उत्तीर्ण किया। इसके बाद उसका पूरा मामला वन संरक्षक बिलासपुर द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भेजा गया था। हालांकि फिर भी उसे प्रतिवादियों द्वारा नियुक्त नहीं किया गया । इसके बाद प्रार्थी ने सूचना के अधिकार कानून के
तहत जानकारी मांगी।

जानकारी पत्र 18 अक्तूबर, 2014 के माध्यम से प्रदान की गई, जिसमें यह दर्शाया गया था कि प्रतिवादी विभाग ने 45 उम्मीदवारों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की पेशकश की थी, जिनमें से दस वन रक्षकों को नियुक्त किया था। वर्ष 2009 में प्रतिवादियों ने करुणामूलक आधार पर वन रक्षक के पद पर पांच व्यक्तियों को नियुक्त किया था। कोर्ट ने वन विभाग के इस कृत्य को भेदभाव पूर्ण पाया और यह अहम निर्णय सुनाया। कोर्ट ने 22 सितंबर, 2015 के वन विभाग द्वारा पारित आदेश को निरस्त करते हुए प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे दो महीने की अवधि के भीतर प्रार्थी को करुणामूलक आधार पर वन रक्षक के पद पर नियुक्त करें। हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश व उत्त्राखंड राज्य की सीमाओं के बीच स्थित आसन वेटलैंड संरक्षण रिजर्व के दस किलोमीटर के दायरे में बिना अनुमति खनन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से दोषियों पर की गई कार्यवाई रिपोर्ट भी तलब की है। आसन वेटलैंड यमुना और आसन नदी का 444 हेक्टेयर क्षेत्र है, जो उत्तराखंड के देहरादून जिला में यमुना नदी के साथ संगम तक फैला हुआ है। आसन संरक्षण रिजर्व, कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण शीतकालीन स्थल को रामसर साइट घोषित किया है। मध्य एशियाई फ्लाइवेज (सीएएफ) के भीतर रणनीतिक रूप से स्थित, रिजर्व में पक्षियों की 330 प्रजातियां हैं।
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