Shimla. शिमला। प्रदेश में स्कूल बंद करने के खिलाफ लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। गत दिनों प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में 433 स्कूल बंद करने का फैसला लिया था। अब प्रदेश की जनता स्कूल बंद करने का विरोध कर रही है। प्रदेश सरकार ने 100 स्कूल बंद करने का फैसला लिया है, जिसमें 100 स्कूल जीरो एनरोलमेंट वाले हैं, इन स्कूलों में एक भी विद्यार्थी नहीं है। इसके अलावा 287 प्राइमरी स्कूल और 46 मिडल स्कूल हैं, जहां पांच-पांच विद्यार्थी हैं। प्रदेश सरकार ने दो किलोमीटर की दूरी वाले प्राइमरी और तीन किलोमीटर दूरी वाले मिडल स्कूल बंद करने का फैसला किया है। प्रदेश सरकार के स्कूल बंद करने के इस फैसले के बाद प्रदेश स्कूलों में गठित की गई एसएमसी के पदाधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं।
शिमला के कुथरू प्राइमरी स्कूल के एसएमसी के चेयरमैन ने कहा कि स्कूल बंद करने का फैसला ठीक नहीं है। गांवों में विशेष कर पिछड़े क्षेत्रों में सडक़ें नहीं हैं और मात्र पैदल रास्ता है। एक स्कूल से दूसरे स्कूल तक नदी-नाले और जंगल भी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में स्कूलों को मर्ज करना ठीक नहीं है। इसके अलावा एसोसिएशन रामपुर के पदाधिकारियों ने भी स्कूल मर्ज करने का विरोध किया है। वहीं, कोट स्कूल की एसएमसी प्रधान और सराहन शिक्षा खंड के छलाड़ी स्कूल की एसएमएसी अध्यक्ष शारदा और कुपरू स्कूल को मर्ज करने के फैसले पर ग्रामीणों केहर सिंह, दलीप कुमार, किरना कुमारी, सुंदर, नरेंद्र, ईश्वर लाल, प्रेम सिंह, सिमरनजीत, प्रकाश चंद, रमीला देवी, दिपिका, सीता मणी ने विरोध जताया है। शिमला जिला के अधिकतर स्कूलों को मर्ज करने का विरोध होने लगा है। लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार भौगोलिक दृष्टिकोण से इन स्कूलों का मर्ज न करे।