ग्रामीण युवाओं ने Driftwood को बनाया आत्मनिर्भर बनने का माध्यम, दूसरों के लिए बने प्रेरणास्त्रोत

बनकलां पंचायत के गांव शंभूवाला के रहने वाले दो भाइयों व उनके साथ पांवटा साहिब का एक युवक मिलकर ड्रिफ्टवुड से आकर्षक डेकोरेशन सामग्री (decoration material) बना रहे हैं

Update: 2021-11-11 11:53 GMT

जनता से रिश्ता। बनकलां पंचायत के गांव शंभूवाला के रहने वाले दो भाइयों व उनके साथ पांवटा साहिब का एक युवक मिलकर ड्रिफ्टवुड से आकर्षक डेकोरेशन सामग्री (decoration material) बना रहे हैं और राष्ट्रीय उच्च मार्ग चंडीगढ़-देहरादून के किनारे शंभूवाला में रोजाना अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाते हैं. इससे पर्यटकों सहित कई लोग वहां रुककर खरीददारी करते हैं. इससे न केवल इन युवाओं की आर्थिकी सुधरी है बल्कि अपनी कला का प्रदर्शन करने का भी मौका मिल रहा है. यह युवा सरकार से भी आशा कर रहे हैं कि यदि उनको कोई उचित मंच प्रदान किया जाए तो अन्य युवाओं को भी स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भरता से जोड़ा जा सकता है.

ड्रिफ्टवुड कलाकार अनुज कश्यप ने बताया कि वह नदी नालों और जंगलों से पेड़ों की बेकार पड़ी जड़ों व शाखाएं ढूंढ कर लाते हैं और फिर उन्हें आकार दिया जाता है. पॉलिश करके इन्हें एक आकर्षक डेकोरेशन वस्तु बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि वे अपने शौक के कारण इस कला से जुड़े और आज इसके जरिए आय भी कमा रहे हैं..
शंभूवाला के अनूप कश्यप ने बताया कि वह एक लंबे समय से ड्रिफ्टवुड कला से जुड़े हैं और उनके कई उत्पाद जिला के संग्रहालय में भी रखे गए हैं. यहां एनएच किनारे उनकी बड़ी अच्छी आमदनी हो रही है, साथ ही उनका शौक भी पूरा हो रहा है. यदि सरकार उनकी मदद करे तो उन्हें बहुत लाभ हो सकता है.
ड्रिफ्टवुड कलाकार पांवटा साहिब निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि वह सब मिलकर यहां पर अपनी काष्ठ कला की प्रदर्शनी लगाते हैं. आते जाते लोग इसकी खरीददारी भी करते हैं और उनके कार्य को सराहते भी हैं. इस कार्य से उन्हें बहुत लाभ हो रहा है. दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का कहना है कि इनकी कला बहुत उच्च कोटि की है और इनकी कला से वह बेहद प्रभावित हुए हैं. यह लोग बेहतर कार्य कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय उच्च मार्ग चंडीगढ़-देहरादून पर बनकलां के पास इन लोगों द्वारा लगाई गई ड्रिफ्टवुड प्रदर्शनी सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है और इससे इन युवाओं को जहां स्वरोजगार का मौका मिला है तो वहीं इनका मनोबल भी बढ़ा है. यदि सरकार इन्हें कोई उचित मंच प्रदान करे तो यह रोजगार के साथ-साथ इस अनोखी कला के लिए भी वरदान साबित होगा.


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