कांग्रेस के लिए गले की फांस बनी गुटबाजी, जानें कैसे?
सिरमौर जिला कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह बंद कमरे से सार्वजनिक मंच से होते हुए पुलिस थाने तक पहुंच गई है
वर्चस्व और अपना दबदबा कायम करने के लिए दो धड़ों की लड़ाई चुनावी साल में कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गई है। सिरमौर जिला कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह बंद कमरे से सार्वजनिक मंच से होते हुए पुलिस थाने तक पहुंच गई है। बीते दिनों पार्टी के एक कार्यक्रम में उपजा विवाद इतनी दूर पहुंचेगा, इसको लेकर किसी ने नहीं सोचा होगा। लंबे समय से जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अजय बहादुर के खिलाफ कांग्रेस का एक धड़ा रुष्ट चल रहा था।
इस धड़े का आरोप था कि अजय बहादुर पार्टी संगठन को मनमाने तरीके से हांक रहे हैं। सबसे ज्यादा विरोध शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान और नाहन से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी अजय सोलंकी कर रहे थे। करीब दो सप्ताह पहले ही भारत जोड़ो सद्भावना सम्मेलन में पहुंचीं पार्टी प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह के समक्ष ही दोनों गुटों की तल्खी सबके सामने आ गई थी। दोनों गुटों ने एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। अंत में दुखी होकर प्रतिभा सिंह ने सम्मेलन को छोड़कर जाने की बात तक कह दी थी। कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के बीचबचाव के चलते मामला शांत तो हुआ लेकिन अंदरूनी तौर पर दोनों गुट अपनी-अपनी तलवारें भांजने में लगे रहे।
बीते सोमवार को ही दोनों धड़ों के नेताओं को शिमला भी तलब किया गया था। बताया जा रहा है कि बंद कमरे में दोनों धड़ों के नेताओं को कड़े शब्दों में अनुशासन का पाठ पढ़ाया गया था। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसी बैठक के बाद सिरमौर कांग्रेस के नेता देर रात लौट रहे थे कि दोनों धड़ों के बीच मारपीट का मामला सामने आ गया। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मामला आलाकमान तक पहुंचा। इसके बाद प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला की अनुशंसा के बाद जिला कांग्रेस कमेटी को तुरंत प्रभाव से भंग कर दिया गया।
विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। कांग्रेस के बीच लड़ाई चाहे टिकट को लेकर हो या फिर वर्चस्व को लेकर। दोनों ही सूरतों में पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। दरअसल, यह लड़ाई जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद को लेकर भी है। सिरमौर कांग्रेस का एक गुट नहीं चाहता था कि अध्यक्ष पद पर दूसरा गुट हावी हो।