पटना: कोरोना काल में आयुर्वेद का लोहा पूरे विश्व ने माना. अब जरूरत है साक्ष्य जनित डाटा तैयार कर इसको प्रतिस्थापित करने की. ये बातें राज्य के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने उदर रोग पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कहीं. राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन ज्ञान भवन में किया गया. पेट रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. विजय प्रकाश ने आधुनिक चिकित्सा एवं प्राचीन चिकित्सा तथा आयुर्वेद को साथ लेकर चिकित्सा करने पर बल दिया.
कार्यक्रम में शामिल अतिथियों का स्वागत अधीक्षक सह सेमिनार आयोजक अध्यक्ष डॉक्टर (प्रो.) विजय शंकर दुबे द्वारा किया गया. कार्यक्रम में बेलगानी (कर्नाटक) से आए डॉ. समीर एन नायक ने लिवर के रोगों का आयुर्वेद पद्धति से जांच एवं इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ. (प्रो) बीके द्विवेदी ने उदर रोग में ओपीडी चिकित्सा व्यवस्था के मूल सिद्धांत पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में उपाधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने 370 चिकित्सकों की शीघ्र नियुक्ति करने की मांग सरकार से की. कार्यक्रम में पूर्व उपाधीक्षक डॉ. धनंजय शर्मा, डॉ. जगन्नाथ ओझा, डॉ. यूएन पाठक समेत 150 आयुर्वेद विशेषज्ञ शामिल थे. राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय पटना के द्रव्यगुण विभाग के डॉ. रमन रंजन सहायक प्राध्यापक द्वारा मैक्सिको व अमेरिका में आयुर्वेद व्याख्यान के लिए प्रशस्ति पत्र माननीय मंत्री द्वारा प्रदान किया गया.
योद्धाओं को सामने लाने की जरूरत उषा किरण
पद्मश्री से सम्मानित चर्चित लेखिका उषाकिरण खान ने कहा कि आज 1857 क्रांति के गुमनाम योद्धाओं को खोज-खोज कर सामने लाने की जरूरत है ताकि नई पीढ़ी उनसे रूबरू हो सके. वे किकट प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक जुल्फिकार अली 1857 के गुमनाम योद्धा के लोकार्पण के मौके पर बोल रहीं थीं. पुस्तक के लेखक एवं आईआईएस के वरिष्ठ अधिकारी संजय कुमार ने कहा कि जुल्फिकार अली बाबू कुंवर सिंह के विश्वासपात्र थे.