बिहार: शिक्षकों की नौकरी पर लटकी कार्यवाही की तलवार, शिक्षा मंत्री ने दिए संकेत

समय सीमा समाप्त होने के करीब छह माह बाद भी राज्य के एक लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को उपलब्ध नहीं हो सके हैं।

Update: 2022-02-04 05:26 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। समय सीमा समाप्त होने के करीब छह माह बाद भी राज्य के एक लाख से अधिक नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को उपलब्ध नहीं हो सके हैं। इस कारण इनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। निगरानी जांच की पूरी प्रक्रिया बाधित है। ऐसे शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। उनकी बर्खास्तगी हो सकती है। हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी ब्यूरो राज्यभर की नियोजन इकाइयों में 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों पर उठाए गए सवालों की जांच कर रहा है। आरोप है कि बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्रों पर बहाली की गई है।

गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई। करीब ढाई घंटे चली इस मैराथन बैठक में शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच का मामला भी सामने आया। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे शिक्षक अगर कागजात उपलब्ध नहीं कराते हैं तो न्यायालय के संज्ञान में देकर इनकी सेवा समाप्त करने पर विचार किया जाएगा। श्री चौधरी ने स्वीकारा कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर निगरानी विभाग द्वारा जो नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच चल रही है उसमें अब भी करीब एक लाख शिक्षकों के नियोजन फोल्डर (दस्तावेज व मेधा सूची) अनुपलब्ध हैं। इससे जांच की पूरी प्रक्रिया बाधित हो रही है। गौरतलब है कि राज्य में शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 में लागू हुई और नई नियमावली के तहत ही शिक्षकों का नियोजन होने लगा।
2014 में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति का मामला प्रकाश में आया और इसको लेकर कई मामले पटना उच्च न्यायालय में भी दर्ज हुए। 2015 में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि 2006 से 2015 के बीच नियुक्त सभी शिक्षकों की डिग्रियों की जांच निगरानी से कराएं। पांच साल से जांच की प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत करीब सवा तीन लाख शिक्षकों के शैक्षणिक, प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों तथा नियोजन इकाइयों द्वारा तैयार उस मेधा सूची की जांच की जानी है जिसके तहत शिक्षक नियुक्त किये गये हैं।
तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं मिले नियोजन फोल्डर
शिक्षा विभाग की तमाम कवायद के बावजूद अबतक करीब 1.03 लाख शिक्षकों के नियोजन फोल्डर गायब हैं। यह तब भी नहीं मिल सका जबकि पिछले साल विभाग ने नियोजन फोल्डरों की जांच के लिए अलग वेबसाइट का निर्माण एनआईसी के सहयोग से किया। जुलाई 20 तक शिक्षकों को फोल्डर उपलब्ध कराने के लिए अंतिम मौका दिया गया। वेबसाइट की कुछ तकनीकी खराबी के कारण अगस्त 2021 में भी एक सप्ताह के लिए इसे खोला गया था ताकि शिक्षक अपनी डिग्री अपलोड कर लें। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद अबभी एक लाख शिक्षकों की डिग्रियों का अता-पता नहीं है। अब विभाग हाईकोर्ट के संज्ञान में इसे देगा और हाईकोर्ट के निर्देश पर ऐसे शिक्षकों की सेवा समाप्त होगी।
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