हार्मोन्स का रूप
पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा काफी बढ़ जाती है, जिस कारण से थोड़ा सा भी खाने से शरीर में वह फ्लूइड रिटेन होनी शुरू हो जाती है. इस दौरान महिलाओं को ब्लोटिंग भी महसूस होती है. ऐसे वक्त में प्रोजेस्ट्रॉन नाम का हार्मोन भी काफी मात्रा में बढ़ जाता है जिसके कारण वॉटर रिटेंशन होना शुरू हो जाता है और शरीर का अचानक से वजन बढ़ जाता है.
वर्कआउट ना कर पाना
पीरियड्स के दौरान दर्द होने के कारण से आलस महसूस होता है और कुछ भी करने का मन नहीं करता, साथ ही थकान सी भी शरीर में रहती है.जिसके कारण हमारा एक्सरसाइज करने का या जिम जाने बंद हो जाता है. जबकि दूसरी तरफ इन दिनों अधिक खान पान से और वॉटर रिटेंशन से बढ़ने वाली कैलोरीज़ की संख्या बर्न नहीं हो पाती और वजन बढ़ने लगता है. ऐसे में पीरियड्स के दौरान थोड़ा बहुत एक्टिव रहकर कैलोरी बर्न करते रहना चाहिए.
पाचन से जुड़ी समस्याएं होना
मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान महिलाओं को पेट दर्द और पाचन की समस्याओं को झेलना पड़ता है. अक्सर ऐसा होता है कि महिलाएं जो खाती है वो इन दिनों पच नहीं पाता है. ऐसे इस कारण से होता है क्योंकि प्रोजेस्ट्रॉन लेवल के बढ़ जाता है. ऐसे में अलग अलग तरह की चीजें खाने से पेट भी फूल जाता है और इसके कारण एसिडिटी, कब्ज जैसी समस्याएं महिलाओं को होती हैं.जिस कारण से वजन भी बढ़ जाता है.
प्रोजेस्ट्रॉन की शरीर में मात्रा बढ़ जाने के कारण अधिक भूख लगती है. इन दिनों में अच्छा खाने के मन करता है, जिस कारण से हम बाहर के खाने को खाते हैं. जिसमें चॉकलेट आदि मुख्य रूप से शामिल होती है, ये खाने के साथ ही इन दिनों शारीरिक गतिविधियां भी इस दौरान कम हो जाती हैं जिससे कैलोरीज़ सरप्लस हो जाता है और वजन बढ़ता है.
कैफ़ीन का सेवन करना
पीरियड्य के दौरान हार्मोन में बदलाव आते हैं, जिस कारण से कैफ़ीन का इंटेक भी बढ़ जाता है. ऐसे वक्त में थकान मिटाने और दर्द से राहत के लिए महिलाएं कॉफी आदि का जमकर सेवन करती हैं.जिस कारण से शरीर में कैफीन पहुंचता है. अगर ज्यादा मात्रा में कैफीन शरीर में जाता है तो इससे ब्लोटिंग होती है और कुछ किलो वजन भी बढ़ सकता है.