देव नगरी उत्तराखंड में यूं तो लगभग हर जगह घूमने लायक है. क्योंकि ये पूरा का पूरा राज्य ही प्राकृतिक खूबसूरती से सराबोर है. लेकिन आज हम यहां आपको उत्तराखंड के एक ऐसे गांव के बारे में बता रहे हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही द्वापर युग की एक महत्वपूर्ण घटना से भी नाता रखता है. एक ऐसी जगह जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पोते को कैद से छुड़ाने के लिए भयानक युद्ध किया था, जिस कारण वहां की मिट्टी आज भी लाल है... कंफ्यूज ना हों, हम कुरुक्षेत्र या महाभारत की बात नहीं रहे हैं...
बल्कि ये जगह है उत्तराखंड का लोहाघाट. यहां बहने वाले नदी को लोहावती नदी कहा जाता है लेकिन मान्यता है कि श्रीकृष्ण और वाणासुर के बीच हुए भीषण युद्ध में इतनी मौतें हुई कि नदी का रंग लहू से लाल हो गया. जिस कारण इसे लहुवति नदी कहा जाने लगा था. यही नाम समय के साथ बदलते हुए लोहावती हो गया. इस नदी के एक तरफ राक्षस बाणासुर का किला है तो दूसरी तरफ उसके वंशजों का गांव...
कौन था राक्षस बाणासुर?
राक्षस बाणासुर भगवान शिव का अनन्य भक्त था और शिवजी इसे बहुत स्नेह करते थे. इस राक्षस का उल्लेख त्रेतायुग और द्वापर युग के धार्मिक ग्रंथों के साथ ही शिवपुराण में भी मिलता है.
रावण की राक्षस सेना में एक महाबलशाली योद्धा के रूप में बाणासुर भी शामिल था, जिसने भगवान राम से युद्ध भी किया. लेकिन युद्ध के दौरान ही ये श्रीराम के वास्तविक रूप को पहचान गया. यानी वो जान चुका था कि श्रीराम साक्षात भगवान विष्णु का अवतार हैं और इस कारण ये युद्ध के मैदान से चला गया.
क्यों किया भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध?
त्रेतायुग का राक्षस द्वापर युग में भी जीवित था और अपने भरे-पूरे परिवार के साथ उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों के बीच अपना राज्य चला रहा था. लेकिन इसी बीच एक ऐसी घटना होती है, जिसके चलते अनजाने में ही ये श्रीकृष्ण भगवान को अपना शत्रु मान बैठता है.
दरअसल, बाणासुर की बेटी उषा को श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध से प्रेम हो जाता है. तब वो अपनी मायावी सहेली चित्रलेखा के पास पहुंची और अपने प्रेम के बारे में बताया. तब चित्रलेखा अपनी शक्तियों के चलते रात में सोते हुए अनिरुद्ध को द्वारका से बाणासुर की बेटी के महल में ले आती है, जो उत्तराखंड स्थित लोहाघाट की एक पहाड़ी पर स्थित था.
जब बाणासुर को अनिरुद्ध के बारे में पता चलता है तो वो अपनी बेटी के प्रेम को स्वीकार नहीं कर पाता और अनिरुद्ध को कैद करके कारागृह (जेल) में डाल देता है. जब भगवान श्रीकृष्ण को इस बारे में पता चलता है तो वे अपने पोते अनिरुद्ध को कैद से मुक्त कराने के लिए गुजरात स्थित द्वारका से उत्तराखंड स्थित बाणासुर की नगरी में आते हैं. यहां उनका बाणासुर से युद्ध होता है.