Lifetyle.लाइफस्टाइल: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व का बेहद महत्व है। माना जाता है भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आधी रात के समय श्री कृष्ण ने कंस का अंत करने के लिए धरती पर जन्म लिया था। तभी से इस खास तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। भगवान के जन्मोत्सव को लेकर भक्तों में अलग ही उत्साह और धूम देखने को मिलती है। इस दिन भक्त सच्चे मन से भगवान की पूजा-अर्चना कर उनके नाम का उपवास रखते हैं, रात्रि के समय भगवान को स्नान आदि करा 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है, इसके बाद श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा का आयोजनल भी किया जाता है। हालांकि, इस बार जन्माष्टमी की तिथि क्या है, इस बात को लेकर अधिकतर लोग कंफ्यूज हैं। इसी कड़ी में यहां हम आपको इस सवाल का जवाब देने वाले हैं, साथ ही जानेंगे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान के भोग बनाने के तरीके से लेकर और भी कई जरूरी बातें-
कैसे बनाएं पंचामृत?
माना जाता है कि जन्माष्टमी की पूजा पंचामृत के बिना अधूरी है। जन्माष्टमी के दिन आधी रात्रि श्री कृष्ण के जन्म के समय उनकी प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में बाटा जाता है।
जन्माष्टमी पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?
पंचांग के अनुसार, सुबह 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 36 मिनट तक अमृत चौघड़िया रहने वाला है। ये योग पूजा के लिए शुभ है। इसके बाद अमृत चौघड़िया पूजन का मुहूर्त 3 बजकर 36 मिनट 6 बजकर 48 मिनट तक है।निशीथ काल में भी आप पूजा कर सकते हैं, जो रात में 12 बजकर 1 मिनट से 11 बजकर 44 मिनट तक है।
जन्माष्टमी मेहंदी डिजाइन
जन्माष्टमी के मौके पर महिलाएं और लड़कियां सुंदर मेहंदी डिजाइन से अपनी हथेलियों को सजाती हैं।
दो दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
इस बार जन्माष्टमी की दो अलग-अलग तिथि पड़ रही हैं। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी का पर्व सोमवार, 26 अगस्त को मनाने की बात कही जा रही है, जबकि वृंदावन में मंगलवार, 27 अगस्त को भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।