कोरोना के बाद बच्चों का ऑन स्क्रीन टाइम पहले की अपेक्षा काफी बढ़ जाने से वह मायोपिया जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना के बाद बच्चों में मोबाइल, टीवी, लैपटॉप में व्यस्तता अधिक हो गई है, जिसकी वह से मायोपिया के सबसे ज्यादा शिकार बच्चे हो रहे हैं। तो आइए जानते हैं क्या है मायोपिया, इसके लक्षण और कैसे करें बचाव?
क्या है मायोपिया बीमारी?
मायोपिया में बच्चों को निकट दृष्टि दोष हो जाता है। जिससे बच्चे की आंखों की पुतली का आकार बढ़ने से प्रतिविंब रेटिना के बजाय थोड़ा आगे बनता है। उनको दूर की चीज़ों को देखने में समस्या होती है। रिसर्च में सामने आया है कि जो बच्चे जितनी छोटी स्क्रीन का यूज कर रहे हैं, उसकी आंखों उतनी ही प्रभावित हुई हैं। रिसर्चर्स बताते हैं कि आंखों के लिए सबसे खतरनाक मोबाइल की स्क्रीन है। जो बच्चे मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करते हं वह मायोपिया से ग्रसित हो जाते हैं। वहीं चश्मा यूज करने वाले बच्चों के चश्मे का नंबर भी तेजी से बढ़ रहा है।
मायोपिया के आम लक्षण
मायोपिया से ग्रसित बच्चों को दूर की चीज़ों को देखने में समस्या होती है। इसके अलावा निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं;
- बार-बार आंखें झपकाना।
- दूर की चीजें देखने पर आंखों में तनाव और थकान महसूस होना।
- ड्रायविंग करने में परेशानी आना खासकर रात के समय में।
- सिरदर्द।
- पलकों को सिकुड़कर देखना।
- आंखों से पानी आना।
बच्चों में इनके अलावा निम्न लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं;
- क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड से ठीक प्रकार से दिखाई न देना।
- पढ़ाई में फोकस न करना
ऐसे करें बचाव
- बच्चों के स्टडी रूम में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें।
- बच्चों को मोबाइल का यूज कम से कम करने दें।
- पढ़ाई के लिए बच्चों को मोबाइल की जगह लैपटॉप दें।
- धूप की रोशनी जरूरी लें।