छींक आने से पहले हमारे नाक में गुदगुदी होने लगती है. जिसके बाद नाक और मुंह से सैटिस्फाइंग ब्लास्ट में बदल जाती है. जिसके बाद हमें बड़ा ही रिलैक्स फिल होता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि हम छींकते क्यों हैं? आपने ध्यान दिया होगा कि छींकने के बाद हमें एक अजीब तरह की इरिटेशन से छुटकारा मिल जाता है. छींकना आपके शरीर के विजिबल, माइक्रोस्कोपिक एलर्जी, वायरस से छुटकारा पाने का सही तरीका है.
इन वजहों से भी आती है छींक
कभी-कभी नाक के अंदर डस्ट और पाउडर जैसे कण चले जाते हैं. जिसकी वजह से नाक के नर्व्स में इरिटेशन और असहजता महसूस होती है. जिसके बाद नर्व्स इसे बाहर निकालने के लिए छींक आती है. कई बार एलर्जी के कारण भी छींक आती है. जैसे आपने परफ्यूम या किसी दूसरे तरह की धूल आपके नाक में चली गई तो छींक आ जाती है. कभी तेज लाइट कि वजह से आंख की रेटिना और दिमाग को जाने वाली ऑप्टिक नर्व्स को एक्टिव करती हैं जिससे छींक आती है.
कब आती हैं छींक
नाक में एक पतली सी म्यूकस नाम की झिल्ली होती है. जिसके सेल्स और टिश्यूज बहुत ही ज्यादा सेंसेटिव होते हैं. जब इस टिश्यूज या सेल्स में बाहर कि कोई भी धूल या कण आकर चिपकती है तो छींक आती है. जैसे ही कोई बाहरी कण या धूल नाक में चिपकती है तो नाक में इरिटेशन होने लगता है और तुरंत दिमाग को मैसेज जाता है. फिर दिमाग मांसपेशियों को सिग्नल देती हैं कि जल्दी से इस धूल को बाहर निकालो. जिसके बाद छींक आती है.
छींक के कई कारण हो सकते हैं
मौसम बदलने पर
मौसम बदलने पर आमतौर पर छींक होती है. अगर आपने बिस्तर या तकिया या टेबल साफ नहीं किया है. और उस पर काफी टाइम से धूल जमी है तो छींक आ सकती है.
एसी के कारण
एसी की वजह ड्राई नोज की दिक्कत पैदा हो सकती है. लंबे समय तक एसी में रहने से छींक आना आम बात है.
साइन के कारण
साइनस के मरीज को छींकक बहुत आती है. इसमें नाक के अंदर एक लाइनिंग होती है. जिसे नैजल लाइननिंग बोलते हैं. उसमें दिक्कत शुरू होती है. जिसके बाद नाक से म्यूकस निकलता है. हल्का दर्द होता है. और यह छींक का कारण भी हो सकता है.