Thyroid रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है यह फूल

Update: 2024-08-13 12:22 GMT
हेल्थ टिप्स Health Tips: थायरॉइड के 60 मरीजों पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया कि कचनार और नीम की जोड़ी इसके इलाज के लिए रामबाण औषधि है। खूबसूरती के साथ ही कचनार के फूल सेहत के लिए भी गुणकारी हैं। बनारस के राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के चिकित्सकों ने इसकी छाल के औषधीय गुणों को खोज निकाला है।
दरअसल, लगभग एक महीने तक थायरॉइड के मरीजों पर कचनार की छाल और नीम के तेल की जोड़ी का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि 67 फीसदी मरीजों को थायरॉइड नियंत्रित करने में कामयाबी मिली है। इतना ही नहीं अंग्रेजी दवाओं की तरह कचनार की इस जोड़ी का कोई 
Side effect
 भी नहीं है।
30-30 मरीजों के समूह पर किया अध्ययन
आयुर्वेद कॉलेज के पंचकर्म विभाग की डॉ. प्रतिमा यादव और डॉ. अजय गुप्ता के नेतृत्व में 60 मरीजों पर यह शोध किया है। सभी का टीएसएच (थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन) लेवल 8 से 12 तक था। शोध के दौरान 30-30 मरीजों के दो समूह बनाए गए। पहले समूह को भोजन से पहले 50 एमएल पानी में कचनार का काढ़ा और एक ग्राम सुंठी चूर्ण सुबह-शाम दिया गया।
दूसरे ग्रुप को भोजन से पहले 50 एमएल पानी में कचनार का काढ़ा-एक ग्राम सुंठी चूर्ण के साथ नाक में दो-दो बूंद नीम के तेल की डाली गई। अध्ययन में पाया गया कि पहले ग्रुप में मात्र 13 फीसदी मरीजों का टीएसएच लेवल घटा। दूसरे ग्रुप में 67 फीसदी लोगों को फायदा हुआ। 20 फीसदी मरीज ऐसे भी जिनमें टीएसएच लेवल से एक से दो प्वाइंट तक कम हुआ। डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि तीन फीसदी मरीजों पर कोई असर नहीं हुआ। यह शोध जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटेग्रेटेड मेडिकल साइंस में हाल ही में छपा है।
जादुई फूल है कचनार, बनती है सब्जी भी-
आयुर्वेद में कचनार के पौधे को एक बेशकीमती जड़ी-बूटी माना जाता है। वैद्यगण कहते हैं कि इसे जादुई पौधा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। पत्तियों, फूलों, कलियों, जड़, तने, छाल और विभिन्न हिस्सों का उपयोग सब्जियों के रूप में किया जाता है। इस पौधे का इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
थायरॉइड सहित अन्य रोगों में लाभकारी-
बताया कि आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों में इसके प्रयोग का जिक्र है। कचनार से ‘गुग्गुलु’ नामक टैबलेट बनाई जाती है, जिसका उपयोग पीसीओएस, सिस्ट, कैंसर, लिपोमा, फाइब्रॉएड, त्वचा रोग और आंतरिक-बाहरी ट्यूमर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियों से आराम दिलाने के लिए किया जाता है।
पूरे भारत में मिलता है कचनार
कचनार सुंदर फूलों वाला एक मध्यम ऊंचाई का पौधा है। Tropical जलवायु में उगने वाला यह पौधा भारत में हर जगह बहुतायत से पाया और उगाया जा सकता है। वनस्पति विज्ञान की भाषा में इसके बॉहिनिया वैरीगेटा (Bauhinia variegata) और बॉहिनिया परप्यूरिया (Bauhinia purpurea) कहते हैं। यह लेग्यूमिनोसी (Leguminosae) कुल और सीजलपिनिआयडी (Caesalpinioideae) उपकुल की एक प्रजाति है। बॉहिनिया प्रजाति की वनस्पतियों में पत्ते का आगे का हिस्सा इस तरह कटा या दबा हुआ होता है जैसे दो पत्तों को जोड़कर बनाया गया हो। इस अलग सी बनावट के कारण कचनार को युग्मपत्र भी कहा गया है।
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