brain कैंसर का 1 घंटे में पता लगा लेगा ये ब्लड टेस्ट, ऐसे होगी पहचान

Update: 2024-08-31 11:52 GMT

Lifestyle लाइफस्टाइल : कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसके नाम से ही हर कोई डर जाता है। कैंसर शरीर के अंदर कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है। जब किसी भी हिस्से में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो कैंसर बनना शुरू हो जाता है। चूंकि ज्यादातर मामलों में कैंसर के लक्षण बहुत देर से पता चलते हैं, इसलिए मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है, लेकिन आज हर तरह के कैंसर का पता लगाना बहुत आसान हो गया है। टेस्ट की मदद से उस हिस्से की कोशिकाओं की संरचना का पता चल जाता है, जिससे यह अंदाजा लगाना आसान हो जाता है कि शरीर के उस हिस्से में कैंसर होगा या नहीं। ब्रेन कैंसर के लिए नया ब्लड टेस्ट ब्रेन कैंसर के मामले में भी ऐसा ही हुआ है जहां एक टेस्ट की मदद से ब्रेन सेल्स की वृद्धि पर नज़र रखना आसान हो जाएगा और यह सिर्फ़ और सिर्फ़ ब्लड टेस्ट की मदद से ही होगा। जिसमें एक टेस्ट की मदद से एक घंटे के अंदर ब्रेन कैंसर का पता लगाया जा सकेगा। जिससे इसकी रोकथाम और इलाज में काफी मदद मिलेगी।अमेरिका में ब्रेन कैंसर पर शोध इस टेस्ट की खोज अमेरिका के नोट्रे डेम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कई सालों की मेहनत के बाद की है जिसमें उन्होंने एक ऐसा ब्लड टेस्ट डिवाइस विकसित किया है जिसकी मदद से एक टेस्ट की मदद से ब्रेन कैंसर का पता लगाना आसान हो जाएगा। इस डिवाइस को ब्रेन कैंसर के सबसे खतरनाक प्रकार ग्लियोब्लास्टोमा का जल्द पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे हर साल दुनिया में लाखों लोगों की मौत होती है। इस डिवाइस की मदद से खून के एक बहुत छोटे से सैंपल से एक घंटे के अंदर इसके लक्षणों की पहचान की जा सकती है।

ग्लियोब्लास्टोमा एक बहुत खतरनाक ब्रेन कैंसर है ग्लियोब्लास्टोमा को ब्रेन कैंसर का सबसे खतरनाक और जानलेवा प्रकार माना जाता है। इस कैंसर का पता लगने के बाद मरीज सिर्फ 12-18 महीने तक ही जीवित रह पाता है। अभी तक इस कैंसर की पहचान के लिए बायोप्सी की जाती थी जिसमें ट्यूमर से टिश्यू का सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती थी। लेकिन यह ब्लड टेस्ट इस कैंसर की पहचान करने में अहम भूमिका निभा सकता है। बायोचिप की मदद से होगी जांच इस डिवाइस में एक छोटी सी बायोचिप की मदद से जांच की जाती है। इस चिप में इलेक्ट्रो काइनेटिक सेंसर का इस्तेमाल करके जांच की जाती है, सेंसर यह पता लगाता है कि कोशिकाओं में कैंसर से जुड़े बायोमार्कर हैं या नहीं जिन्हें एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर्स कहते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि इस डिवाइस की सटीकता बहुत ज़्यादा है और भविष्य में यह ब्रेन कैंसर का पता लगाने में बड़ी भूमिका निभाएगी। साथ ही, शुरुआती जांच की मदद से मरीज़ की जान बचाना पहले से ज़्यादा आसान हो जाएगा। साथ ही, उन्हें उम्मीद है कि इस डिवाइस का इस्तेमाल दूसरे कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियों, डिमेंशिया और मिर्गी का पता लगाने में भी उपयोगी साबित होगा।


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