पेरेंट्स के व्यवहार से जुड़ी ये आदतें ही करती हैं बच्चों को उनसे दूर, लाएं इनमें बदलाव
लाएं इनमें बदलाव
बच्चा छोटा हो या बड़ा, उसके माता-पिता उसे जीवन में तरक्की करते हुए ही देखना चाहते हैं। इसके लिए पेरेंट्स की परवरिश के तरीके बहुत मायने रखते हैं। अपने बच्चे को अच्छे संस्कार और अच्छी आदतें देना हर पेरेंट्स अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। लेकिन कई बार परवरिश के दौरान पेरेंट्स ऐसा व्यवहार कर बैठते हैं जिसका बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं और वे अपने ही पेरेंट्स से दूरियां बनाने लगते हैं। कोई भी माता-पिता नहीं चाहेंगे कि उनके बच्चे उनसे बात करने में कतराए। ऐसे में आपको अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है। आज इस कड़ी में हम आपको पेरेंटिंग के दौरान होने वाली उन आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बच्चों को उनसे दूर करती हैं। इन्हें जानकर दूर करने में ही समझदारी हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
मारकर नहीं, समझाने से बनेगी बात
बच्चों को किसी भी तरह से मारपीट नहीं करनी चाहिए, ना ही उन्हें इतना डांटा जाए कि वो मानसिक दबाव में खुद को घुटा हुआ महसूस करने लगे। याद रखें, जैसा व्यवहार आप बच्चे के साथ करेंगे वही बच्चा सीखेगा और बड़ा होने पर उसमें उसी तरह की प्रवृत्ति आ जाएगी। इसलिए आप बच्चे के साथ मारपीट न करें और उन्हें अपने बिहेवियर को ठीक करने के सही तरीकों के बारे में बताएं और उनकी मदद करें।
ज्यादा गुस्सा करना
माता-पिता को लगता है कि अगर बच्चा गलती कर रहा है, तो उसे डांट दिया जाए या गुस्सा कर लिया जाए। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि उसका बच्चे पर क्या असर पड़ता होगा। आपको लगता है कि ऐसा करने से बच्चा अपनी गलती समझ जाता है लेकिन नहीं ऐसे में बच्चे ज्यादा गुस्सैल और जिद्दी हो जाते हैं। उसके मन में ये भावना उत्पन्न हो जाती है कि आप उन्हें कभी नहीं समझेंगे।
कई बार पैरेंट्स घर के झगड़ों में बच्चों को भी शामिल कर लेते हैं। ऐसा करने की भूल बिल्कुल न करें। पति-पत्नी के बीच लड़ाई होना एक सामान्य बात है लेकिन इन झगड़ों में बच्चे को शामिल करना गलत बात है। झगड़ा करते समय कपल्स अक्सर ये भूल जाते हैं जाते हैं कि वो क्या और किसके सामने बोल रहे हैं। जिसकी वजह से उनके मुंह से निकले हुए गलत शब्द बच्चों के मन में घर कर सकते हैं, जिन्हें वो हमेशा याद रखते हैं।
ना करें दोहरा व्यवहार
बच्चे के साथ कभी भी ऐसा व्यवहार ना करें कि एक पल में उसे बहुत ज्यादा गुस्सा करें, और दूसरे ही पल उसे कुछ भी करने की छूट दे दें। ताकि उसे लगे कि आप उसे कितना प्यार करते हैं। ये व्यवहार गलत है। इसे ही डबल बिहेवियर करते हैं। ये बच्चे में भ्रम की स्थिति पैदा करता है। इससे अच्छा है कि आप किसी भी सिचुएशन में ये समझाएं कि उसे किस तरह का बिहेव करना है।
स्ट्रिक्ट रूल ना बनाएं
बच्चे के साथ कई बार माता-पिता अपनी मर्जी करवाने के लिए काफी सख्त रुख अख्तियार कर लेते हैं। उन पर ऐसे नियम थौंप देते हैं जिनका पालन करने बच्चों के लिए मुश्किल भरा होता है।बच्चे के साथ ज्यादा सख्त रुख अपनाने से उनके दिलो-दिमाग पर असर पड़ता है। बच्चे को कम शब्दों में अपनी बात को अच्छी तरह समझाने की कोशिश करें।
बच्चे को चिढ़ाना
कई बार पैरेंट्स प्यार से अपने बच्चे को अलग-अलग उलटे-सीधे नामों से बुलाते हैं। लेकिन ऐसा करने पर आपका बच्चा इरिटेट होकर रोने लग सकता है। कई बार ऐसा करने से बच्चे का इरिटेशन लेवल बढ़ सकता है, जिससे उसका नेचर काफी नकारात्मक बन सकता है।
बच्चे के गलती करने पर माता-पिता अक्सर उसके भविष्य को लेकर भविष्यवाणी करना शुरू कर देते हैं। उदाहरण के लिए आपने कई बार माता-पिता को अपने बच्चे को कहते हुए सुना होगा कि ‘तुमसे इतना छोटा सा काम नहीं हुआ, तुम फ्यूचर में क्या ही कर पाओगे’। अगर आप भी अपने बच्चे को लेकर ऐसी ही कोई भविष्यवाणी करते हैं तो ऐसी गलती दोबारा न करें। आपके ऐसा करने से आपके बच्चे का आत्मविश्वास कम हो सकता है।