बच्चे का भविष्य बर्बाद कर सकती हैं ये आदतें, ना करें नजरअंदाज करने की गलती

बच्चे का भविष्य बर्बाद कर सकती

Update: 2023-06-03 08:15 GMT
बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं हैं। पेरेंट्स को समर्पित होते हुए बच्चे की हर छोटी-बड़ी चीज पर ध्यान देना होता हैं। आज के समय में ज्यादातर पैरेंट्स वर्किंग होने की वजह से अपने बच्चों पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं। जिसकी वजह से उनके बच्चे के आचरण में कुछ आदतें ऐसी विकसित हो जाती हैं जो उनके भविष्य को बर्बाद कर सकती हैं। हर बच्चेै में कुछ बुरी और कुछ अच्छी आदतें होती हैं लेकिन बार-बार गलत व्यीवहार करना या बुरी आदतों को रिपीट करना सोशल तौर पर स्वीककार नहीं किया जा सकता है। अगर बच्चों को बचपन से ही सुधारा जाए और उनकी दिनचर्या में अच्छी आदतें जोड़ी जाएं तो बड़े होकर उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बच्चों की उन आदतों के बारे में जिन्हें पेरेंट्स को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
चीजों को शेयर ना करना
कई घरों में ये देखने को मिलता है कि छोटे अपनी चीजों को शेयर करना नहीं चाहते। कई बार तो बच्चार दूसरों की चीजें भी लेने की जिद करने लगता है। ऐसे में माता पिता प्याछर दुलार की वजह से उसे शेयर करने से मना कर देते हैं। माता पिता का सर्पोट मिलने पर बच्चार इस आदत को सीख लेता है और अपनी चीजों को दूसरों के साथ कभी शेयर करना चाहता। ऐसे में पैरेंट्स को यह बात ध्याेन रखनी चाहिए कि बच्चों के बेहतर ग्रोथ के लिए उन्हें शेयर करने के लिए मोटिवेट करें।
लड़ाई-झगड़ा करने की आदत
अगर आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों पर दूसरे बच्चों को मारने लगता है तो उसे शुरूआत में ही ऐसा करने से रोक दें। मारपीट की आदतें बच्चा कहीं से भी सीख सकता है। ऐसे में ये जरूरी है कि उसे सही-गलत का ज्ञान करवाएं। ऐसा करते हुए उससे प्यार से बात करें।
कई बार ऐसा देखा जाता है कि बच्चे को कोई चीज पसंद आ गई तो वो उसे पैरेंट्स से मांगने की जगह बिना सोचे-समझे अपने पास रख लेता है। ऐसी आदतें बच्चे एक दूसरे से ही सीखते हैं। ऐसे में ये हर पेरेंटस की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों की संगत पर नजर रखें। ताकि आपका बच्चा गलत रास्ते पर ना भटकें। दरअसल, आपका बच्चाे जब किसी से बिना पूछे उसकी चीजों को ले रहा है तो उसे तुरंत रोकें और पूछने की सलाह दें। ऐसा करने से उसे पता चलेगा कि बिना पूछे किसी की चीज को लेना गलत आदत है।
दूसरों की इज्ज त ना करना
माता पिता को बचपन से ही बच्चोंा को दूसरों की इज्जबत करना सिखाना चाहिए। खासतौर पर अगर कोई बड़ा है तो उन्हें नमस्तेे करना, उनके साथ धीमी आवाज में बोलना, अगर कोई हेल्पन मांगे तो मदद करना, बात की अवहेलना ना करना आदि बच्चेत को बचपन में सिखाना जरूरी है। लेकिन अगर आप उनके सामने ही बड़ों के साथ चिल्ला्कर बात करते हैं या उनके साथ अच्छा व्येवहार नहीं करते , तो बच्चा आपसे ये आदत सीख सकता है और अपने बड़ों की इज्जलत नहीं करता है। जिससे आगे चलकर उन्हेंे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक दूसरे को चिढ़ाने की आदत ज्यादातर बच्चे अपने स्कूल और दोस्तों से सीखते हैं। लेकिन उनकी इस आदत को शुरू में ही रोकना जरूरी है। आपको उसे ये समझाने की जरूरत है कि ये एक बुरी आदत है।
कई पैरेंट्स अंजाने ही बच्चों को जिद करने की आदत भी दिला देते हैं। बच्चोंी को लगता है कि जिद करने से उनकी हर बात पूरी कर दी जाएगी। कई बार ऐसा करते समय कुछ बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए खुद को नुकसान पहुंचाने की धमकियां देने लगते हैं। इसलिए अगर बच्चा किसी चीज को लेने की जिद करे तो उसे तुरंत मना करें और यह बता दें कि जिद करने से कोई भी चीज नहीं मिलती। इस तरह वह हर चीज लेने की आदत नहीं करेगा और सेल्फ कंट्रोल सीखेगा। अगर आपका बच्चा आपको इमोशनल ब्लैकमेल करें तो उसे प्यार से इस आदत को छोड़ने के लिए समझाएं।
हर बात पर जवाब देना
कुछ बच्चों की आदत होती है कि वे दूसरों की बात सुने बिना बस अपनी-अपनी बोलते हैं और पलटवार करते हैं। जबकि यह आदत उनके व्यवहार में नकारात्मक बदलाव ला सकती है। बचपन से ही बच्चों को सिखाना चाहिए कि उल्टा जवाब देना गलत है। ऐसे में माता-पिता भी बच्चों से तेज आवाज में ना बात करें। साथ ही अगर बच्चे गुस्सा है तो उसके पीछे का कारण जानें।
अधिक गुस्सा करना
बच्चे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं और अगर उनके मन का ना हो तो वे जिद करने लगते हैं। ऐसे में वे अपनी मनपसंद चीजों को करवाने में सफल हो जाते हैं। लेकिन ये कब आदत बन जाती है पता ही नहीं चलता। माता-पिता बचपन में ही बच्चों की हर बात को ना मानें। खासकर वो बातें जिसके लिए वो जिद कर रहा है। कभी-कभी ऐसा करना सही है। लेकिन हमेशा ऐसा करने से उसकी आधत बिगड़ सकती है और आगे चलकर वो हर बात के लिए जिद और गुस्से का सहारा लेगा। इसके अलावा बच्चों को समझाना भी जरूरी है कि हर बात पर गुस्सा या जिद करनी सही नहीं।
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