कमजोर लीवर के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी ये आयुर्वेदिक जड़ी-बूटीयां
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटीयां
संपूर्ण स्वास्थ्य की भलाई के लिए लिवर का स्वस्थ होना और सही तरीके से काम करना बहुत जरूरी है। लिवर शरीर के नाजुक और महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। लीवर लगातार खून को फिल्टर करने, महत्वपूर्ण हार्मोन और एंजाइम बनाता है। लीवर के स्वस्थ न रहने पर पीलिया, फैटी लीवर या लीवर सिकुड़ने की समस्या भी उत्पन्न होने लगती है। आमतौर पर लिवर से जुड़ी समस्याएं होने पर डॉक्टर से परामर्श करना है बेहतर माना जाता है। लेकिन इसी के साथ आप आयुर्वेद की मदद भी ले सकते हैं जिसे उपचार का सबसे पुराना पारंपरिक तरीका है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटीयों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कमजोर लीवर के लिए संजीवनी बूटी का काम करती हैं।
शिसांद्रा
एक जर्नल के अनुसार के शिसांद्रा चीनेंसिस, ऐसी अद्भुत जड़ी बूटी है, जिसका प्रयोग लिवर से लेकर, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया और लिवर से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए दवा के रूप में किया जाता है। यह एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है और लिवर फंक्शन में सुधार करती है।
गुड्डुची
गुड्डुची के कसैले गुण आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। आयुर्वेद में इस जड़ी बूटी को गुर्दे और उसके कार्यों के लिए अद्भुत कहा गया है। इसे डॉक्टर से सलाह लेने के बाद सेवन की सलाह दी जाती है क्योंकि यह हर किसी के अनुकूल नहीं है और आपके शरीर में कुछ छोटे प्रतिकूल परिवर्तन ला सकती है।
बरडॉक रूट
बरडॉक रूट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट विशेष रूप से लीवर को जहरीले पदार्थों से बचाने में मदद करते हैं। बरडॉक को इसका कड़वा स्वाद देने वाले यौगिक पित्त उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकते हैं, जिससे लीवर को अधिक गति और आसानी से विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मदद मिलती है।
पुनर्नवा
पुनर्नवा भी एक आयुर्वेदिक बूटी है, जिसमें कि प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं, यही वजह है कि आयुर्वेद में इसे मूत्रत्याग जैसे मूत्र संबंधी मुद्दों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके एंटी इंफ्लामेटरी गुणों के कारण यह किडनी को स्वस्थ और अच्छी तरह से काम करने में मदद करता है।
मिल्क थिसल
यह जड़ी-बूटी टॉक्सिन्स को लिवर की कोशिकाओं से जोड़ने से रोकने में मदद करती है। अध्ययनों में पाया गया कि यह सूजन कम करने और कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करती है। पीलिया, सिरोसिस, लिवर कैंसर और फैटी लीवर रोग के लक्षणों में भी सुधार करती है।
मुलेठी
मुलेठी में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी-कैंसर, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। यह लिवर की चोट को कम करने में मदद करती है और फंक्शन में सुधार करती है।
गोक्षुरा
गोक्षुरा पेड़ की छाल गुर्दे के स्वास्थ्य और यूटीआई इंफेक्शन और पेशाब जलन सहित खराब गुर्दे के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। यह गुर्दे की पथरी को खत्म करने के लिए ब्लड सर्कुलेशन में मददगार है।
डैंडेलियन
विभिन्न लिवर रोगों के जोखिम को कम करने, रोकने या उनका इलाज में इस जड़ी-बूटी का प्रयोग बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स लिवर की चोट को ठीक करने और डैमेज को रिपेयर करने में मदद करते हैं।
हल्दी
हल्दी में मौजूद एक्टिव कंपाउंड करक्यूमिन एंटी-इन्फमेलेटरी यौगिक के रूप में काम करता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं। यह डायबिटीज, हाइपरलिपिडिमिया और फैटी लिवर आदि के उपचार में बहुत लाभकारी है।
भुम्यमालकी
लीवर से संबंधित सभी विकारों के लिए फाइलेन्थस अमरुस सर्वोच्च दवा मानी जाती है। यह अक्सर हेपटोमेगाली और गंभीर सिरोसिस लीवर की स्थिति में प्रयोग किया जाता है। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा इस रहस्यवादी जड़ी बूटी का उपयोग घर पर लीवर डिऑर्डर को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। उचित मार्गदर्शन के साथ इस पौधे का नियमित सेवन लीवर को आगे की समस्याओं से बचाने के लिए एक प्रभावी तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।