पोस्ट कोविड के मामलों ने बढ़ाई चिंता, एक साल तक बने रह सकते हैं कई लक्षण
पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है। अब तक संक्रमण की चपेट में आए लाखों लोगों की मौत हो चुकी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है। अब तक संक्रमण की चपेट में आए लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के मौजूदा हालात की बात करें तो भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में संक्रमण के दैनिक मामलों में कमी जरूर आई है लेकिन पोस्ट कोविड सिंड्रोम अब भी लोगों के लिए बड़ी मुसीबत का कारण बना हुआ है। पोस्ट कोविड का मतलब कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में लंबे समय तक कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का बने रहना है। कई देशों ने अस्पतालों में पोस्ट कोविड के इलाज के लिए अलग से व्यवस्था की है, इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारत ने भी ऐसी समस्याओं से मुकाबले के लिए योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है। इस बावत स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हाल ही में विस्तृत दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, विशेषरूप से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद पोस्ट कोविड सिंड्रोम के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। कई लोगों में इससे संबंधित समस्याओं को ठीक होने में छह महीने से एक साल तक का भी समय लग सकता है। ऐसे में इन रोगियों के विशेष देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है। पोस्ट कोविड मामलों के रूप में लोगों में हृदय-फेफड़े और कई अन्य तरह की दीर्घकालिक समस्याएं देखने को मिल रही हैं। आइए इस बारे में आगे की स्लाइडों में विस्तार से जानते हैं।
पोस्ट कोविड समस्याओं से मुकाबले की तैयारी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कई लोगों में कोरोना से ठीक होने के बाद हफ्तों से लेकर महीनों तक तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं। ऐसी समस्याओं को पोस्ट कोविड या लॉन्ग कोविड सिंड्रोम के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में आए कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पोस्ट कोविड में कुछ लोगों में रक्त के थक्के बनने, अनिद्रा, डायबिटीज और अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इसी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्यकर्मियों को इस तरह की समस्याओं के उपाचर हेतु तैयार करने के लिए मॉड्यूल तैयार करने का फैसला किया है।
ऐसे लोगों में पोस्ट कोविड का खतरा अधिक
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली के डॉ विक्रमजीत सिंह (डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेल मेडिसिन) कहते हैं, कोरोना की दूसरी लहर ने शरीर के कई अंगों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इन समस्याओं को ठीक होने में लंबा समय लग सकता है। कोरोना संक्रमण के कारण जिन लोगों को आईसीयू में भर्ती होना पड़ा या जिनमें संक्रमण के गंभीर लक्षण थे, उनमें पोस्ट कोविड की समस्याएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली का यहां भी विशेष रोल है। मधुमेह, हृदय-फेफड़े के रोग, कैंसर या प्रतिरक्षा संबंधी अन्य समस्याओं के शिकार लोगों में लॉन्ग कोविड सिंड्रोम ठीक होने में ज्यादा समय भी लग सकता है। ऐसे रोगियों को कोरोना से ठीक होने के बाद भी विशेष उपचार की आवश्यकता है।
अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे
पोस्ट कोविड समस्याओं को लेकर अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाल ही में बड़ा खुलासा किया था। लैंसेट जर्नल ईक्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि कोरोना से ठीक हो चुके रोगियों में पोस्ट कोविड के एक-दो नहीं, 200 से अधिक प्रकार के लक्षण हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि सामान्यतौर पर पोस्ट कोविड में कमजोरी, थकान के साथ कुछ सामान्य दिक्कतों के बारे में लोगों पता होता है, हालांकि इसके कई और लक्षण भी हो सकते हैं। पोस्ट कोविड में कुछ रोगियों को मासिक धर्म चक्र में बदलाव, यौन संबंधी रोग, दिल की धड़कन में अनियमितता, याददाश्त की कमी, धुंधला दिखाई देने जैसी दिक्कतें भी हो सकती है। इलाज कर रहे डॉक्टरों को इस बारे में भी ध्यान रखने की आवश्यकता है।
पोस्ट कोविड में अजीब गंध और स्वाद आने के मामले
एक अन्य अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना से ठीक होने के बाद कुछ लोगों में चीजों से अजीब गंध और स्वाद आने की भी समस्या हो सकती है। रिपोर्टस के मुताबिक पोस्ट कोविड की इस समस्या में कुछ लोगों को प्याज से सड़े अंडे की बदबू, कॉफी से सड़े हुए मीट, प्याज और लहसुन के स्वाद आने की समस्या हो रही है। डॉक्टरों के मुताबिक इस समस्या को मेडिकल की भाषा में पैरोस्मिया के नाम से जाना जाता है। रोगियों में यह समस्या 9 दिनों से लेकर 6 महीने तक भी रह सकती है।