मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं पंचामृत का भोग, जाने रेसिपी

मां ब्रह्मचारिणी को दूध या फिर उससे बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं। यही वजह है कि उन्हें शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है। आप भी मां ब्रह्मचारिणी को यदि प्रसन्न् करना चाहते हैं तो जानें कैसे बनाया जाता है पंचामृत और क्या हैं इसके फायदे और महत्व।

Update: 2021-10-08 07:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्रों में दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सुशोभित रहती हैं। दार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना करने से सर्वसिद्धि प्राप्त होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध या फिर उससे बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं। यही वजह है कि उन्हें शक्कर और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है। आप भी मां ब्रह्मचारिणी को यदि प्रसन्न् करना चाहते हैं तो जानें कैसे बनाया जाता है पंचामृत और क्या हैं इसके फायदे और महत्व।

पंचामृत का महत्व-
पंचामृत में पांच चीजों को शामिल किया जाता है, जिनका सेहत और धार्मिक दृष्टि से अपना एक खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो दूध शुद्ध और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है। तो वहीं घी शक्ति और जीत के लिए है। शहद मधुमक्खियां पैदा करती है इसलिए ये समर्पण और एकाग्रता का प्रतीक है। चीनी मिठास और आंनद तो दही समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। बात अगर सेहत की करें तो इसका सेवन करने से व्यक्ति को अनेक तरह के लाभ भी मिलते हैं। आइए जानते हैं क्या है पंचामृत बनाने का सही तरीका और इसका सेवन करने से सेहत को मिलने वाले कई गजब के फायदे।
पंचामृत प्रसाद बनाने के लिए सामग्री-
-1/2 कप दूध
-1/2 कप दही
-1 टेबलस्पून शहद
-1 टेबलस्पून चीनी
-1 टीस्पून घी
-1 पत्ता तुलसी का

पंचामृत प्रसाद बनाने की विधि-

- सबसे पहले एक बर्तन में दही डालकर अच्छे से फेंट लें।

- अब इसमें दूध, शहद, चीनी और घी मिलाएं।

- तैयार है पंचामृत प्रसाद. इसमें तुलसी का एक पत्ता भी डाल दें।

- सबसे पहले मां ब्रह्मचारिणी को इसका भोग लगाकर बाद में घर के सभी लोगों के बीच बांट दें।

ये है (Panchamrit) के फायदे-
1-यह पित्त दोष को बैंलेस करता है।आयुर्वेद के अनुसार इसका सेवन करने से पित्त दोष को संतुलित रखने में मदद मिलती है।
2-पंचामृत इम्यून सिस्टम में सुधार करता है
3-यादाश्त को बढ़ाता है और रचनात्मक क्षमताओं को बढ़ावा देता है।
4-यह स्कीन के लिए भी काफी फायदेमंद हैं।
5-बालों को स्वस्थ रखता है।
6- आयुर्वेद की मानें तो अगर प्रेग्नेंसी के दौरान इसका सेवन किया जाए तो यह मां और भ्रूण दोनों स्वस्थ रहते हैं।


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