नवरात्रि में मां दुर्गा के प्रसाद के लिए बनाएं ये बंगाली डिशेज
प्रसाद के लिए बनाएं ये बंगाली डिशेज
माँ दुर्गा का पवित्र पर्व नवरात्रि आने वाला है। इस त्यौहार में भक्त नौ दिन तक मां दुर्गा के लिए व्रत रखते हैं, पूजन करते हैं और उनके लिए प्रसाद बनाते हैं। ऐसे में यदि आप हलवा मिठाई के अलावा और भी कुछ खास मां दुर्गा के भोग के लिए बनाना चाहते हैं, तो इन बंगाली डिशेज को बना सकते हैं, जो बंगाल में नवरात्रि के दौरान दुर्गा जी के भोग के लिए बनाया जाता है।
आलू काबली
आलू चाट की तरह दिखने वाला आलू काबली एक प्रसिद्ध बंगाली डिश है, जिसे मां दुर्गा के प्रसाद के लिए बंगाल में बनाया जाता है। है तो यह एक तरह का चाट ही जिसे बंगाल में उबले हुए आलू, काबली चना और कुछ पारंपरिक मसालों के संयोजन से तैयार किया जाता है।
मोचर चॉप
केले के फूलों से तैयार मोचर चाप पकौड़े या कटलेट की तरह दिखता है। सॉफ्ट केले के फूल और पारंपरिक मसालों से तैयार इस मोचर चॉप को काशुंडी नामक बंगाली सरसों की चटनी के साथ परोसा जाता है। मीठे के साथ आप मां दुर्गा को मोचर चाप का भोग लगा सकती हैं।
दुर्गा पूजा भोग
दुर्गा पूजा भोग एक पारंपरिक प्रसाद है, जिसे बंगाल के अलावा और भी दूसरे जगहों में मां दुर्गा को अर्पित कर लोगों में बांटा जाता है। दुर्गा पूजा भोग में मसालेदार खिचड़ी, सुगंधित मसाले और तरह तरह की सब्जी से भरपूर मिक्स वेज करी, बेगुनी, खजूर की चटनी, पायेश, रोशोगुल्ला (रोशोगुल्ला रेसिपी) समेत और भी दूसरी बंगाली डिशेज को थाली में सजाकर मां दुर्गा को भोग लगाया जाता है।
कोराईशुतिर कोचुरी
बंगाली लोगों के बीच यह कचौरी का बढ़िया संस्करण है। जहां नॉर्थ इंडिया में आलू और दाल से कचौरी बनाया जाता है, वहीं वेस्ट बंगाल में हरे मटर से इस कोराईशुतिर कोचुरी को बनाया जाता है। दम आलू के साथ इस कचौरी को खाया जाता है। बिना लहसुन प्याज के बनाकर इसे मां दुर्गा को भोग लगाएं।
घुघनी
सफेद मटर से तैयार घुघनी को न सिर्फ बंगाल के लोगों के द्वारा खाया जाता है, बल्कि बिहार, यूपी समेत दूसरे राज्यों में भी खाया जाता है। सभी के बनाने और खाने का तरीका अलग होता है। नींबू के रस और पारंपरिक मसालों से तैयार किए गए इस घुघनी को भी भोग की थाली में शामिल कर मां दुर्गा को चढ़ाया जाता है।
चुरमुर
उबले हुए आलू और कुचले हुए फुचके से तैयार यह स्नैक्स पारंपरिक मसाले और इमली के पानी के साथ बनाया जाता है। साधारण भाषा में इसे आलू चाट समझ सकते हैं, जो हर गली-मोहल्ले में आसानी से मिल जाएगा।