मकर संक्रांति स्पेशल थाली बिहारी रेसिपी

मकर संक्रांति के अवसर पर बिहार के अलग-अलग हिस्से में कई तरह की परंपराएं हैं

Update: 2022-01-14 05:56 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  मकर संक्रांति के अवसर पर बिहार के अलग-अलग हिस्से में कई तरह की परंपराएं हैं, जो सदियों से आज भी चली आ रही हैं. ये परंपराएं एक तरफ जहां हमारी संस्कृति से जुड़ी हैं तो वहीं दूसरी तरफ अगर कभी गौर करें तो आप पाएंगे कि प्राचीन काल में इन परंपराओं की वजह से, इस संस्कृति की वजह से लोग एक-दूसरे से काफी जुड़े हुए थे और स्वस्थ रहने में ये परंपराएं औऱ इनसे संबंधित खान-पान अहम भूमिकाएं निभाते थे. ग्रामीण इलाकों में आज भी इन परंपराओं का लोग निर्वहन कर रहे हैं, जिससे आज भी ये परंपराएं जीवित हैं.

मकर संक्रांति का पर्व हर साल 14 जनवरी के दिन मनाया जाता है. ज्योतिष के हिसाब से इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में, यानी कि दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं और कहते हैं कि इसके साथ ही दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं. आज भी बिहार के ग्रामीण इलाकों में इस त्योहार की तैयारियां कुछ दिनों पहले से ही शुरू हो जाती हैं. जिसमें गन्ने के रस से गुड़ तैयार किया जाता है. यह कई तरह से तैयार किया जाता है और मकर संक्रांति से कुछ दिन पहले से ही बनाकर रख लिया जाता है, 
जनवरी में धान की फसल तैयार होती है और धान को पकाकर या फिर कच्चे धान को कूटकर चूड़ा बनाकर रख लिया जाता है. फिर दही जमाने के लिए भी नए मिट्टी के बर्तन का प्रयोग किया जाता है, जिसमें दूध उबालकर उसे जमाया जाता है. हर घर में काले और उजले तिल के लड्डू बनाए जाते हैं. पूरी तैयारी के बाद मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान पुण्य के बाद सजती है खाने की ये विशेष थाली-जिसमें होता है स्वास्थ्य के लिए भरपूर खजाना.
मकर संक्रांति के दिन भले ही ये खाना विशेष रूप से खाते हैं लेकिन वैसे बिहार में आज भी कई घरों में सुबह का नाश्ता दही-चूड़ा या चूड़ा दही ही होता है. इसके कहने का तात्पर्य ये है कि दही चूड़ा का मतलब-दही की मात्रा अधिक और चूड़ा कम और चूड़ा दही मतलब-चूड़ा की मात्रा अधिक दही कम. अब आपकी इच्छा आप दही चूड़ा खाएं या चूड़ा दही. मिथिलांचल में दही चूड़ा खाने का चलन है.
जानिए इस विशेष थाली के फायदे….
अगर आप वजन कम करना चाहते हैं और अपने लीवर को हेल्दी रखना चाहते हैं तो आपके लिए दही-चूड़ा-गुड़ एक बेहतर ऑप्शन है. इस थाली में कैलोरी की मात्रा कम होती है और इसके साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर दही-चूड़ा लंबे समय तक आपके पेट को भरा हुआ रखता है, जिससे आप अनावश्यक खाने से बच पाते हैं.
दूसरा बड़ा फायदा है कि इस नाश्ते को पकाने की जरूरत नहीं होती, यह रेडिमेड होता है. बिना आग यानी चूल्हे के ही यह हेल्दी नाश्ता तैयार हो जाता है और इसे आप काम की जल्दबाजी में खा सकते हैं और आपका पेट भर जाता है. दूसरे यह हाई-फाइबर और लो-कैलोरी से भरा हुआ नाश्ता है. इस दही-चूड़ा में मिठास के लिए पारंपरिक ढंग से तैयार देसी गुड़ का इस्तेमाल करते हैं, जो मिठास बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से इस खाने को कहीं बेहतर बना देता है.
बिहार मे आज भी दही जमाने के लिए मिट्टी का बर्तन या फिर मिट्टी की हांडी का इस्तेमाल करते हैं. मिट्टी के बर्तन में दही ना केवल अच्छा जमता है बल्कि ये सेहत के लिहाज से भी खास हो जाता है. क्योंकि मिट्टी का बर्तन या फिर मिट्टी की हांडी में दही जमाने से दही के स्वाद में बदलाव नहीं होता यानि की ये खट्टा नहीं होता. ये मीठा बना रहता है. इसके साथ ही मिट्टी एल्कलाइन होने के कारण कई सारे एसिड को बैलेंस करती है.
चूड़ा धान से बना होता है जो दही के साथ मिलकर आपकी भूख को सबसे ज्यादा नियंत्रित करता है. चूड़ा में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है और यह पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाता है और आपकी आंत को भी स्वस्थ रखता है. लीवर की समस्या हो या पेट खराब रहता हो तो उसके उपचार के लिए आपको दही-चूड़ा खाना चाहिए.
गुड़ मे आयरन काफी मात्रा में होता है, जिससे खून की कमी की समस्या ठीक हो जाएगी और क्या आप जानते हैं कि गुड़ एक अच्छा मूड बूस्टर है, यह आपके मूड को खुशनुमा बनाने में मदद करता है. इसके अलावा माइग्रेन की समस्या में भी गुड़ फायदा पहुंचाता है. गुड़ ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम भी करता है. गुड़ में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है. यह दोनों तत्व हड्डियों को मजबूती देने में बेहद मददगार हैं.
तिल आपके शरीर में खून की मात्रा को सही बनाए रखने में भी मददगार है. बाल और त्वचा को मजबूत और सेहतमंद रखने के लिए रोजाना तिल का सेवन बहुत ही लाभकारी माना जाता है. -तिल में मौजूद प्रोटीन पूरे शरीर को भरपूर ताकत और एनर्जी से भर देते हैं. इससे मेटाबोलिज्म भी अच्छी तरह काम करता है. इसे गुड़ के साथ मिलाकर बनाए गए लड्डू या तिलकुट को खाने से शरीर को काफी फायदे मिलते हैं. तो जान गए आप कितनी हेल्दी और अनोखी है मकर संक्रांति पर खाई जाने वाली बिहार की थाली….



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