मां लक्ष्मी जी हो जाएंगी प्रसन्न होगा धन लाभ, जानें महानंदा नवमी व्रत और कथा

आज महानंदा नवमी व्रत है.हर साल यह व्रत मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है.

Update: 2020-12-23 06:42 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| आज महानंदा नवमी व्रत है. हर साल यह व्रत मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है. महानंदा नवमी व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज जिन भक्तों ने यह व्रत रखा है उनके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी और ऐसा जातकों के जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं होगी और दुर्भाग्य उनसे कोसों दूर रहेगा. पढ़ें महानंदा नवमी व्रत की कथा..

महानंदा नवमी व्रत की कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है कि एक साहूकार की बेटी पीपल की पूजा करती थी. उस पीपल में लक्ष्मीजी का वास था. लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से मित्रता कर ली. एक दिन लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी को अपने घर ले जाकर खूब खिलाया-पिलाया और ढेर सारे उपहार दिए. जब वो लौटने लगी तो लक्ष्मीजी ने साहूकार की बेटी से पूछा कि तुम मुझे कब बुला रही हो?

अनमने भाव से उसने लक्ष्मीजी को अपने घर आने का निमंत्रण तो दे दिया किंतु वह उदास हो गई. साहूकार ने जब पूछा तो बेटी ने कहा कि लक्ष्मीजी की तुलना में हमारे यहां तो कुछ भी नहीं है. मैं उनकी खातिरदारी कैसे करूंगी?

साहूकार ने कहा कि हमारे पास जो है, हम उसी से उनकी सेवा करेंगे.

फिर बेटी ने चौका लगाया और चौमुख दीपक जलाकर लक्ष्मीजी का नाम लेती हुई बैठ गई. तभी एक चील नौलखा हार लेकर वहां डाल गया.

उसे बेचकर बेटी ने सोने का थाल, साल दुशाला और अनेक प्रकार के व्यंजनों की तैयारी की और लक्ष्मीजी के लिए सोने की चौकी भी लेकर आई. थोड़ी देर के बाद लक्ष्मीजी गणेशजी के साथ पधारीं और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर सब प्रकार की समृद्धि प्रदान की.

अत: जो मनुष्य महानंदा नवमी के दिन यह व्रत रखकर श्री लक्ष्मी देवी का पूजन-अर्चन करता है उनके घर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता से मुक्ति मिलती है तथा दुर्भाग्य दूर होता है. 

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