Lifestyle: सोने के लिए है कम समय तो ऐसे करे नींद पूरी

Update: 2024-08-11 15:18 GMT
हेल्थ टिप्स Health Tips: नींद की सेहत में सुधार के लिए Allopathy में तो मेडिसिन है ही, आयुर्वेद, नेचरोपैथी और होम्योपैथी में भी इतने सरल उपाय हैं जिन्हें अपनाकर सामान्य नींद को भी गहरी नींद में बदला जा सकता है।
सेहतमंद जीवन के लिए बताए गए हैं 3 स्तंभ
1. आहार यानी भोजन
2. निद्रा यानी नींद
3. ब्रह्मचर्य यानी इंद्रियों पर काबू
जिस तरह किसी बिल्डिंग को खड़ा करने के लिए पिलर्स की जरूरत होती है। इसी तरह हमारे सेहतमंद शरीर के लिए ये 3 ही सबसे अहम पिलर हैं।
हम यहां बात करेंगे आहार और निद्रा की। नींद को आहार के बाद सबसे अहम कारक माना गया है। अगर इसमें कमी हो तो परेशानियों की लड़ी बन जाती है। एक तरफ नींद की कमी से जहां तन बीमार होने लगता है, वहीं यह मन के लिए भी उतनी ही अहम है।\
यह भी सच है कि अगर हमारा भोजन सही नहीं होगा तो इसका असर भी हमारी नींद की क्वॉलिटी पर पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर हमने ज्यादा तेल-मसाले वाली चीजें खाई हैं, गर्म तासीर वाली चीजें ली हैं, बाहर की पैक्ड चीजें खाई हैं तो एसिडिटी होगी, एसिड रिफ्लक्स (जब पेट में पाचक एसिड गले की तरफ आने लगे और इस वजह से गले में जलन व खांसी होने लगे) होगा। ऐसे में नींद में खलल पड़ना लाजमी है। इस वजह से रात में भी हमारी नींद बार-बार खुलती है।
अच्छी और गहरी नींद क्यों है जरूरी
हर शख्स को हर दिन 6 से 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। यह नींद ही हमारे अगले दिन की क्षमता को काफी हद तक तय करती है। अगर किसी ने रात में अच्छी नींद ली है तो उसका चित्त शांत रहेगा। वह दूसरे दिन ज्यादा तार्किक रहेगा। वह शारीरिक रूप से ज्यादा फुर्तीला महसूस करेगा। इसलिए अच्छी नींद तो चाहिए ही।
अगर कोई काम टालना पड़े तो टाल देना चाहिए, लेकिन नींद जरूर पूरी करनी चाहिए। आयुर्वेद में नींद को बलवर्धक कहा गया है। गहरी नींद से इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। हकीकत यह है कि नींद की कमी से इंसान का वजन कम होकर वह बीमार भी हो सकता है या फिर जगे रहने की वजह से ज्यादा खाकर मोटा भी हो सकता है। अच्छी नींद सेक्शुअली भी हेल्दी बनाती है।
सोने के लिए कौन-सा वक्त अच्छा
कोशिश तो यह होनी चाहिए कि हर रात 9 से 10 के बीच सो जाएं और सुबह 4 से 5 के बीच उठें। आयुर्वेद में सोने के इसी वक्त को सबसे अच्छा माना गया है। अगर किसी वजह से देर से सोए हों तो भी अपनी 6 से 8 घंटे की नींद पूरी करके ही उठें। कहने का मतलब है कि लगातार और गहरी नींद ही सबसे अच्छी मानी जाती है।
नींद में रुकावट डालने वाली वजहें
स्ट्रेस या डिप्रेशन होना, दरअसल हम बीती बातें को याद कर डिप्रेस होते हैं और आने वाले वक्त की परेशानियों को सोचकर स्ट्रेस में चले जाते हैं।
ओवरथिंकिंग करना
खाने के फौरन बाद सोने के लिए चले जाना
सूती या सॉफ्ट कपड़े पहनकर न सोना
टाइट अंडरगारमेंट्स पहनकर सोना
सोने वाले बिस्तर पर ज्यादा समय बिताना
बेड या तो बहुत सॉफ्ट होना या फिर बहुत हार्ड
स्क्रीन (मोबाइल, लैपटॉप आदि) से चिपके रहना
बेडरूम में दीवार घड़ी की मौजूदगी होना
ज्यादा मात्रा में कॉफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक और अल्कोहल लेना, खासकर शाम को
कमरे में ताजा हवा की कमी होना
एक्सरसाइज या दौड़ने-भागने वाले खेल न खेलना
सुबह तक याद रहने वाले सपने आना
किसी रात 2-3 घंटे ही सो पाए हों तो...
कई बार काम की वजह से, देर रात पार्टी आदि से लौटने पर, किसी लंबी यात्रा में जाने पर या फिर किसी दूसरी वजह से रात को नींद पूरी नहीं होती। हालांकि ऐसी परिस्थिति जितनी कम बने, उतना बढ़िया। अगर कोई शख्स किसी रात बमुश्किल 2 से 3 घंटे ही सो पाता है तो उसे चाहिए कि वह दूसरी सुबह नहाकर 2 घंटे की नींद ले ले या भूख लगी हो तो हल्का नाश्ता करके सो जाए। इससे नींद पूरी हो जाएगी और उठने के बाद फ्रेश महसूस होगा। यह ध्यान रहे कि दिन में भरपेट खाना खाकर सोने से कफ बढ़ता है और इससे दिनभर आलस्य रहता है।
हर सुबह उठने पर थकान महसूस हो तो...
ऐसी शिकायत काफी लोगों की होती है कि हर रात 8 क्या, 10 घंटे सोने के बाद भी उठने पर एनर्जी महसूस नहीं होती। सुबह नींद खुलने के बाद भी लगता है कि बेड पर ही लेटे रहें। दरअसल, इस तरह की परेशानी कई वजहों से हो सकती है: सपनों ने खलल डाला हो, रात के हैवी खानपान ने परेशान किया हो।
ऐसे में सुबह नींद खुलने पर फौरन ही उठकर न बैठ जाएं। लेटे हुए ही 5 से 7 मिनट तक बच्चों की तरह 
Bicycle
चलाएं। 10 से 20 बार डीप ब्रीदिंग करें। इस दौरान गहरी सांस लें। सांस धीरे-धीरे लें। फिर इसे 4 से 5 सेकंड के लिए होल्ड करें। फिर धीरे-धीरे सांस को तब तक निकालें जब तक दोनों फेफड़े पूरी तरह खाली न हो जाएं। ऐसा करने से कुछ फर्क तो जरूर दिखता है।
बैठे-बैठे या खड़े-खड़े सोते हैं तो...
ऐसा अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग मेट्रो में, बसों में सीट पर बैठे-बैठे या फिर खड़े होकर ही नींद की झपकी मारने लगते या सो जाते हैं। अपनी इस आदत को वे कई बार बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं कि हमें तो सोने की कोई फिक्र नहीं, हम तो कहीं भी और कभी भी, किसी भी हाल में सो लेते हैं। पर इसे सही नहीं कहा जा सकता।
नींद रात में पूरी हो, 6 से 8 घंटे की लगातार हो। टुकड़ों की नींद सही नहीं है। इस वजह से दिनभर आलस्य बना रहता है। लंबे वक्त तक ऐसा हो तो इस वजह से शरीर में ताकत की कमी, इम्यूनिटी कमजोर होना आम बात है।
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