कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जारी की गई नई गाइडलाइन्स जानें

गांवों में अभी इलाज के पुख्ता इंतजाम नहीं जिसकी वजह से ये और भयावह हो गया है। जिसे देखते हुए गाइडलाइंस तैयार की गई है।

Update: 2021-05-17 10:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पहले जहां कोरोना का असर सिर्फ शहरों में देखने को मिल रहा था वहीं अब ये गांवों में भी तेजी से फैल रहा है। जानकारी और इलाज का अभाव मौतों की वजह बन रहा है। इन्हीं चीज़ों को देखते हुए सरकार ने गांवों के लिए अलग गाइडलाइन जारी की है, जिससे संक्रमण रोका जा सके। गाइडलाइन के अनुसार, आशा कार्यकर्ताओं को खासतौर से जुकाम-बुखार की मॉनिटरिंग और संक्रमित मामलों में कम्युनिटी हेल्थ अफसर को फोन पर केस हैंडल करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्ट की ट्रेनिंग देने को कहा गया है।

गांवों के लिए क्या है गाइडलाइन?

मॉनिटरिंग और ट्रीटमेंट
1. हर गांव में जुकाम-बुखार के मामलों की निगरानी खासतौर से आशा वर्कर्स करेंगे। जिनके साथ हेल्थ सैनिटाइजेशन और न्यूट्रिशन कमेटी भी होगी।
2. जिन मरीजों में लक्षण पाए गए हैं, उन्हें ग्रामीण स्तर पर कम्युनिटी हेल्थ अफसर फौरन फोन पर देखेंगे।
3. गंभीर बीमारियों से जूझ रहे संक्रमितों या ऑक्सीजन लेवल कम होने वाले मामलों को बड़े हॉस्पिटल्स भेजा जाए।
4. जुकाम-बुखार के साथ सांस से जुड़े इंफेक्शन के लिए हर सब सेंटर पर ओपीडी चलाई जाए, दिन में इसका समय निश्चित करना होगा।
5. संदिग्धों की पहचान होने के बाद उनकी हेल्थ सेंटर्स पर रैपिड एंटीजन टेस्टिंग हो या फिर उनके सैंपल नजदीकी कोविड सेंटर्स में भेजे जाएं।
6. हेल्थ ऑफ और एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्टिंग की ट्रेनिंग दी जाए, हर हेल्थ सेंटर और सब सेंटर पर एंटीजन किट उपलब्ध कराई जाए।
7. जिनमें कोई लक्षण नहीं है, लेकिन वे किसी संक्रमित के करीब गए हैं और बिना मास्क या 6 फीट से कम दूरी पर रहे हैं, उन्हें क्वारंटाइन होने की सलाह दें। इनका तत्काल टेस्ट भी किया जाए।
होम और कम्युनिटी आइसोलेशन
- करीब 80-85 परसेंट केस बिना लक्षणों वाले या बेहद कम लक्षणों वाले आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को घरों या कोविड केयर फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाए।
- मरीज होम आइसोलेशन के दौरान केंद्र की मौजूदा गाइडलाइंस का पालन करें। फैमिली मेंबर्स भी गाइडलाइन के हिसाब से ही क्वारंटाइन हों।
होम आइसोलेशन में मॉनिटरिंग
1. ऑक्सीजन लेवल की जांच बेहद जरूरी है। हर गांव में भरपूर मात्रा में ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होने चाहिए।
2. आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और वालंटियर्स के जरिए एक सिस्टम डेवलप किया जाए, जो मरीजों को लोन पर जरूरी डिवाइसेज प्रदान करने का काम करे।
3. हर बार इस्तेमाल के बाद थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर को सैनिटाइज किया जाए।
4. मरीजों के बारे में लगातार जानकारी के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स, वालंटियर्स और टीचर्स दौरा करें।
5. होम आइसोलेशन किट के अलावा किन सावधानियों का पालन करना है, इसका एक पम्फलेट भी दिया जाए।
6. अगर ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हो जो उसे तुरंत ऐसे हेल्थ सेंटर में भेजा जाए, जहां ऑक्सीजन बेड हो।


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