जानें भगवान शिव पर दूध चढ़ाने के पीछे क्या है, महत्व

हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा-उपासना के लिए सोमवार का दिन समर्पित किया गया है.

Update: 2022-04-25 04:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा-उपासना के लिए सोमवार का दिन समर्पित किया गया है. इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं ताकि उनका आशीर्वाद भक्तों पर बना रहे. भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. इसके लिए शिव भक्त को अधिक मेहनत की आवश्यकता नहीं होती.

भोपाल के पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में कई विधि-विधान बताए गए हैं. जिसमें भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा क्यों चढ़ाया जाता है इसका भी उल्लेख मिलता है. इसके अलावा भगवान शिव पर दूध अर्पित करने का उल्लेख भी मिलता है. आज हम जानेंगे कि क्यों शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है और ऐसा करने से क्या होता है.
पौराणिक मान्यता
मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जो विष निकला था, वह संसार के लिए बेहद खतरनाक था. जिसका पान भगवान शिव ने कर लिया था. विष पीने की वजह से भगवान शिव का शरीर जलने लगा. तभी वहां उपस्थित सभी देवताओं ने उनके ऊपर जल चढ़ाना शुरू किया, लेकिन कोई ज्यादा असर नहीं हुआ. तभी सारे देवताओं ने भगवान शिव से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया. दूध पीने से भगवान शिव पर विष का असर कम हो गया और भगवान शिव का शरीर जलने से बच गया. उसी समय से भगवान शिव पर दूध अर्पित करने की परंपरा आरंभ हुई.
भगवान शिव की पूजा करने की विधि
-सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें.

-इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा की स्थापना कर उनका जलाभिषेक करें.

-भगवान शिव को मंत्रोच्चार के साथ धतूरा, दूध, फूल, बेल पत्र, सुपारी और पंचामृत अर्पित करें और फिर माता पार्वती को सोलह शृंगार चढ़ाएं.

-अब तिल के तेल का दीपक जलाएं और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें.

-अंत में शिव चालीसा का पाठ करें.


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