जानिए स्वाइन फ्लू के लक्षण और बचाव के तरीके

देशभर में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में एक बार फिर से उछाल देखा जा रहा है।

Update: 2022-06-03 09:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देशभर में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में एक बार फिर से उछाल देखा जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को साझा की गई जानकारियों के मुताबिक तीन माह बाद पहली बार फिर से दैनिक मामले 4000 के पार पहुंच गए हैं। बीते 24 घंटे में भारत में 4041 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ देश के कई हिस्सों में स्वाइन फ्लू के 'घातक' मामले भी रिपोर्ट किए जा रहे हैं।

केरल में स्वाइन फ्लू से संक्रमित एक 12 वर्षीय बच्ची और उत्तर प्रदेश में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है। केरल के अलावा मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी स्वाइन फ्लू के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं।
स्वाइन फ्लू (H1N1) एक एक वायु जनित रोग है जो खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों के संपर्क में आने से फैलता है। H1N1 फ्लू के लक्षण मौसमी फ्लू के समान ही होते हैं जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहना चाहिए। स्वाइन फ्लू के तीन मामले मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए हैं जिसके बाद से स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट पर रखा गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को स्वाइन फ्लू के लक्षणों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे इसके संक्रमण से बचाव किया जा सके। आइए आगे इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
स्वाइन फ्लू संक्रमण के बारे में जानिए
स्वाइन फ्लू, मुख्य रूप से फ्लू (इन्फ्लूएंजा) वायरस के H1N1 स्ट्रेन के कारण होता है। H1N1 इन्फ्लूएंजा ए वायरस है। इससे संक्रमण की स्थिति में इन्फ्लूएंजा की तरह ही लक्षण देखे जाते हैं। यह ऊपरी-निचले श्वसन पथ के संक्रमण का कारण बनता है। सामान्य फ्लू की तुलना में स्वाइन फ्लू अधिक संक्रामक है, इसके संक्रमण के लक्षण हल्के से गंभीर स्तर के हो सकते हैं।
H1N1 से प्रभावित क्षेत्रों में रहने या वहां की यात्रा करने की स्थिति में आपमें भी संक्रमण होने का जोखिम हो सकता है। सभी लोगों को इसके लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।
स्वाइन फ्लू संक्रमण में क्या लक्षण होते हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक स्वाइन फ्लू और इन्फ्लूएंजा, दोनों संक्रमण के ज्यादातर लक्षण समान हो सकते हैं। संक्रमितों में बुखार, ठंड लगने, खांसी, गला खराब होना, नाक बहने, शरीर में दर्द, थकान, दस्त, मतली और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सामान्यतौर पर ऐसे लक्षण स्वत: ही ठीक हो जाते हैं, हालांकि कुछ लोगों में इसके गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं, जिसमें शीघ्र डॉक्टरी सहायता की आवश्यकता होती है।
सांस लेने में कठिनाई।
छाती में दर्द।
लगातार चक्कर आना।
लक्षणों का गंभीर होते जाना।
बहुत अधिक कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द महसूस होना।
स्वाइन फ्लू संक्रमण के क्या कारण हैं?
स्वाइन फ्लू संक्रमण, संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने के दौरान निकलने वाली ड्रॉपलेट्स या फिर दूषित सतह के संपर्क में आने से फैल सकता है। H1N1 वायरस आपके नाक, गले और फेफड़ों को लाइन करने वाली कोशिकाओं को संक्रमित करता है। इस संक्रमण से बचाव के लिए 6 माह से अधिक उम्र के लोगों को सालाना फ्लू वैक्सीनेशन कराने की सलाह दी जाती है। यह गंभीर रोग के विकसित होने के जोखिम को कम कर देती है।
स्वाइन फ्लू का इलाज और बचाव
एच1एन1 फ्लू से पीड़ित अधिकांश लोगों को केवल लक्षणों को कम करने वाली दवाइयों की जरूरत होती है। संक्रमण के दौरान आराम करने और पानी पीते रहने से भी लक्षणों को कम किया जा सकता है। सामान्यत: एंटीवायरल दवाओं से इसमें राहत मिलती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को इस संक्रमण से बचाव करते रहने की सलाह देते हैं। इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।
हाथों को अच्छी तरह से बार-बार धोएं। हाथों को धोने के लिए साबुन और पानी का उपयोग करें।
खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढकें। इसके बाद हाथ धो लें।
अपनी आंख, नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचें।
सतह से फैलने वाले संक्रमण से बचे रहने के लिए किसी भी चीज को छूने के बाद हाथों की साफ-सफाई जरूर करें।
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