जानिए काला मोतियाबिंद होने के लक्षण
हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग आंखे होती है. अक्सर लोग अपनी आँखों से बहुत सारी बातें कह जाते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग आंखे होती है. अक्सर लोग अपनी आँखों से बहुत सारी बातें कह जाते हैं. लेकिन आज कल के दौर में हम अपनी आंखों का ख्याल रखना भूलते जा रहे हैं. जिसके कारण 35-40 उम्र तक आते-आते लोग आंखों की गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते है, काला मोतियाबिंद भी उन्ही बीमारी में से एक है. यह बीमारी बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा दिखाई देने लगती है. काला मोतियाबिंद आंखों का एक ऐसा रोग है जो जिसमे मरीज की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो जाती है और उन्हें दिखाई देना बंद हो जाता है.
मायो क्लिनिक के अनुसार काला मोतियाबिंद एक गंभीर बीमारी है जिसमें आंखों की ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़ता है जिससे उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है. इसे इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर भी कहा जाता हैं. हमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व ही किसी चीज का चित्र और सूचनाएं मस्तिष्क तक पहुंचाने का काम करती है. यदि ऑप्टिक नर्व और आंखों के अन्य हिस्सों पर पड़ने वाले प्रेशर को कम न किया जाए तो व्यक्ति की आंखों की रोशनी जा सकती है.
काला मोतियाबिंद होने के लक्षण
शुरू में अँधेरे वाली जगह पर देखने में असहजता होना, आंखों के नंबर में जल्दी-जल्दी बदलाव, आंखों की बाहरी रोशनी का कम होना, सिरदर्द, आंखों में कुछ भाग से दिखाई न देना, प्रकाश के आसपास इंद्रधनुषी छवि दिखना, आंखों में तेज दर्द, चेहरे में भी दर्द, जी मचलना आदि परेशानी हो सकती है. अगर परेशानी ज्यादा बढ़ जाए तो आंखों में ब्लाइंड स्पॉट बनने लगते है. अगर कोई व्यक्ति यदि बहुत लंबे समय तक स्टेराइड का इस्तेमाल कर रहा हो तो उस व्यक्ति यह परेशानी हो सकती है. इसके अलावा मधुमेह, हाइपरटेंशन या थायराइड से पीड़ित व्यक्ति भी इस बीमारी का शिकार हो सकते है.
इन बातों का रखें ध्यान
काले मोतियाबिंद को नियंत्रण में इसकी शुरुआत में किया जा सकता है. काले मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी या नॉन सर्जरी के द्वारा किया जाए, ये आपको एक अच्छे नेत्र चिकित्सक सब जांचे होने के बाद ही बता सकते है. डॉक्टर द्वारा आई ड्रॉप्स या खाने वाली दवाइयां काला मोतियाबिंद के प्रारंभिक उपचार के रूप में दी जाती हैं. जो आंखों में तरल पदार्थ कम बनाने में तो कुछ दबाव कम करने में सहायता करती हैं.. साथ ही लेज़र ट्रैबेक्युलोप्लॉस्टी का प्रयोग आंखों से तरल पदार्थों को निकालने में किया जाता है. अगर आप काले मोतियाबिंद के मरीज़ है तो नियमित रूप से दवा लेने का प्रयास करें. साथ ही सुबह खाली पेट ज्यादा पानी न पिएं इससे आंखों पर दबाव बढ़ सकता है.